केंद्र सरकार (Central Government) ने सोशल मीडिया (Social media) पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ (India: The Modi Question) को बैन कर दिया। मोदी सरकार (Modi Government) के इस फैसले के खिलाफ वरिष्ठ पत्रकार एन. राम (Veteran journalist N Ram), वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Activist Lawyer Prashant Bhushan) और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा (Trinamool Congress MP Mahua Moitra) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने तत्काल सुनवाई के लिए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के समक्ष मामले का रखा किया। सीजेआई मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गए हैं। एन राम और प्रशांत भूषण ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले अपने ट्वीट को हटाने के फैसले को भी चुनौती दी है।
कानून मंत्री ने बताया समय की बर्बादी
केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिक को समय की बर्बादी बताते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने लिखा है, “इस तरह वे माननीय सुप्रीम कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करते हैं, जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए तारीखों की इंतजार कर रहे हैं।”
एडवोकेट एमएल शर्मा ने भी ऐसी ही एक याचिका दायर की है, जिसपर अगले सोमवार (6 फरवरी) को सुनवाई होगी। शर्मा की ने अपनी याचिका में 21 जनवरी, 2023 को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा डॉक्यूमेंट्री पर “बैन” लगाने के आदेश को रद्द करने की मांग की है।
उन्होंने सरकार के फैसले को अवैध, दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक करार दिया। शर्मा ने कहा कि सवाल यह है कि “क्या राष्ट्रपति द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत घोषित आपातकाल के बिना, केंद्र सरकार द्वारा आपातकालीन प्रावधानों को लागू किया जा सकता है।”
क्या है सरकार का फैसला?
21 जनवरी को केंद्र सरकार ने विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले कई YouTube वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किया।
केंद्र ने यूट्यूब और ट्विटर को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को साझा करने वाले लिंक को हटाने का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि डॉक्यूमेंट्री “भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करती है” और भारत का “विदेशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों” पर “प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता” रखती है। इसके अवाला सरकार ने डॉक्यूमेंट्री से देश के भीतर सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ने की आशंका भी व्यक्त की थी। सरकार के निर्देशों पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, नेताओं ने इसे “सेंसरशिप” कहा है।