वकालत का पेशा किस तरह का है इस बात को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक उदाहरण देकर समझाया। सीजेआई ने बताया कि कोविड के दौरान वो एक केस की सुनवाई कर रहे थे। महिला वकील लाइव स्ट्रीमिंग पर अपनी दलीलें पेश कर रही थीं। इसी दौरान पीछे से बच्चे के रोने की आवाज आई। महिला वकील ने तत्कालीन जस्टिस चंद्रचूड़ से माफी मांगी। सीजेआई ने बताया कि मैंने महिला वकील को कहा कि वकालत एक ऐसा पेशा है जहां सबको साथ लेकर चला जाता है। यहां हर किसी के लिए समान अवसर हैं।
NALSAR University के सेमिनार में सीजेआई ने कहा कि छात्रों को वकालत से बाहर की चीजों को भी खंगालते रहना चाहिए। जब वो छात्र थे तो ऐसी कई चीजों के बारे में पड़ताल करते रहते थे जो उनके पेशे से नहीं जुड़ी थीं। लेकिन वो मानते हैं कि उनकी इस आदत ने उनको बतौर वकील और बतौर जज काफी मजबूत बनाया। जो ज्ञान बाहर से मिला उसने उनके वकालत और जज के पेशे को और ज्यादा धार प्रदान की।
अदालतों में मूर्ख भी आइंस्टीन जैसा हक पाता है
सीजेआई ने कहा कि देश में एक ऐसा संस्थान है जो सभी को एक समान बनाता है। एक मूर्ख को भी अलबर्ट आइंस्टीन जैसा तो एक अनपढ़ को किसी कॉलेज प्रेजीडेंट जैसा। उनका कहना था ये संस्थान कोई भी कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट भी हो सकता है। ये अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट भी हो सकता है। उनका कहना था कि कोर्ट में भी खामियां हो सकती हैं। लेकिन एक बात सोलह आने सच है और वो ये है कि सभी को यहां एक समान माना जाता है।
डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पेशे के महत्व को बताते हुए कहा कि अमेरिका की एक जज ने स्पाइडरमैन मूवी की एक बात को अपने फैसले में लिखा था। फिल्म में कहा गया था कि बड़ी पॉवर जब भी मिलती है उसके साथ बड़ी जिम्मेदारियां भी आती हैं। उनका कहना था कि वकालत के बाद आप लोगों को सीखना होगा कि आप अपने आसपास के माहौल को देखें और कोशिश करें कि दुनिया के साथ आसपास के लोगों को भी राहत मिल सके।
गालिब की शायरी पढ़ बोले- पहचानता नहीं अभी रहबर को मैं
सीजेआई ने कहा कि Avengers, Marvel, DC movies का जिक्र कर कहा कि फिल्में या दूसरी कोई भी आर्ट हम पर बड़ा असर छोड़ती है। सीजेआई ने मिर्जा गालिब की एक शायरी को पढ़ते हुए कहा कि चलता हूं थोड़ी दूर हर एक तेज- रौ के साथ पहचानता नहीं अभी रहबर को मैं।