देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Yashwant Chandrachud) ने कहा कि सिर्फ बड़े शहरों में रहने वाले लोगों का टैलेंट पर एकाधिकार (मोनोपॉली) नहीं है। उड़ीसा के 10 जिलों में वर्चुअल हाईकोर्ट का ऑनलाइन उद्घाटन करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि टैलेंट की कोई बाउंड्री नहीं है और इस पर किसी का एकाधिकार भी नहीं है।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. एस मुरलीधर की तारीफ करते हुए कहा कि वर्चुअल हाईकोर्ट की मदद से तमाम नए लॉयर्स को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिलेगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि तमाम ऐसे टैलेंटेड वकील हैं जो दूर दराज के इलाकों में रहते हैं। उनमें से कई रिसोर्सेज और जानकारी के अभाव में अपना टैलेंट नहीं दिखा पाते हैं या हाईकोर्ट में प्रैक्टिस का मौका नहीं मिलता है। उन्हें सेल्फ डेवलपमेंट से वंचित नहीं रखा जा सकता है।
CJI ने बताया अपना अनुभव
CJI चंद्रचूड़ ने उदाहरण देते हुए बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट में कोरोना काल में वर्चुअल हियरिंग फैसिलिटी शुरू हुई थी, तब मैंने नोटिस किया कि देश के तमाम कोने से युवा और टैलेंटेड लॉयर हमारे सामने पेश होने लगे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्होंने नोटिस किया कि वर्चुअल हियरिंग से पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा संख्या में महिला वकील सुनवाई में शामिल होने लगीं। यह उनके लिए ज्यादा सहूलियत भरा था क्योंकि कई बार तमाम व्यवस्थाओं के चलते वो फिजिकल तौर पर अपीयर नहीं हो पा रही थी।
उम्मीद है पुरुष भी बताएंगे घर के काम में हाथ
चीफ जस्टिस ने इस दौरान कहा कि मुझे यह भी उम्मीद है कि वर्चुअल कोर्ट की मदद जो सहूलियत मिली है, उससे पुरुष वकीलों को भी घर और परिवार की जिम्मेदारियों में हाथ बंटाने का एक मौका मिलेगा।
CJI ने दिया AI का उदाहरण
जस्टिस चंद्रचूड़ ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन टूल्स का उदाहरण देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को तमाम भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन की शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसे टूल्स हैं जिसके जरिए चीजें आसान हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के ऐसे जजमेंट जो अंग्रेजी में होते हैं, उन्हें दूसरी भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेट करने की पहल शुरू हुई है।