मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) के जज ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से राज्य के बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। कॉलेजियम ने MP High Court के जस्टिस अतुल श्रीधरन (Justice Atul Sreedharan) के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। अब जस्टिस अतुल श्रीधरन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट (Jammu Kashmir Ladakh High Court) में अपनी सेवाएं देंगे।
क्यों किया ऐसा अनुरोध?
जस्टिस अतुल श्रीधरन खुद को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से इसलिए अलग किया क्योंकि अगले साल से उनकी बेटी उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के समक्ष प्रैक्टिस शुरू करने वाली हैं। अभी जस्टिस श्रीधरन की बेटी कानून की छात्रा हैं और जल्द जिला अदालत में प्रैक्टिस शुरू करेंगी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने 28 मार्च के एक प्रस्ताव में कहा कि 23 जनवरी, 2023 को जस्टिस अतुल श्रीधरन ने “मध्य प्रदेश राज्य से इस आधार पर स्थानांतरण की मांग की थी कि उनकी बड़ी बेटी अगले साल प्रैक्टिस शुरू करेंगी और जिला न्यायालय व उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के समक्ष पेश होगी।”
बता दें न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन को 7 अप्रैल, 2016 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एसके कौल, केएम जोसेफ, एमआर शाह और अजय रस्तोगी भी शामिल हैं।
न्यायमूर्ति वीएम वेलुमणि का अनुरोध अस्वीकार
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस अतुल श्रीधरन का अनुरोध तो स्वीकार कर लिया लेकिन मद्रास हाईकोर्ट की न्यायाधीश वीएम वेलुमणि का अनुरोध अस्वीकार दिया। दरअसल पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाई कोर्ट के तीन जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थी, जिसमें जस्टिस वीएम वेलुमणि का भी नाम था। कॉलेजियम ने जस्टिस वेलुमणि को कलकत्ता हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी।
जस्टिस वेलुमणि ने कॉलेजियम से पुनर्विचार की मांग की थी। पहले उन्होंने खुद को मद्रास हाईकोर्ट में ही रखने की मांग की। जब वह अस्वीकार कर दिया तो उन्होंने मांग कि उन्हें उत्तर-पूर्वी राज्यों के हाईकोर्ट मणिपुर या त्रिपुरा में स्थानांतरण की मांग की थी ताकि वह चेन्नई में अपने आधिकारिक आवास को बनाए रखने में सक्षम हो सकें।
बता दें कि 20 दिसंबर, 2013 को मद्रास उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। कॉलेजियम ने अपने 29 सितंबर, 2022 को न्यायमूर्ति वेलुमणि को “न्याय के बेहतर प्रशासन के लिए” कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था।
जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा का अनुरोध भी अस्वीकार
पटना हाईकोर्ट के जज संजीव प्रकाश शर्मा ने कॉलेजियम के समक्ष अनुरोध किया था कि उन्हें उनके मूल उच्च न्यायालय (राजस्थान हाईकोर्ट) में स्थानांतरित कर दिया जाए। हालांकि कॉलेजियम ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
जस्टिस शर्मा को 16 नवंबर, 2016 को राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। 1 जनवरी, 2022 को उन्हें पटना हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य और पटना में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की अनुपलब्धता के आधार पर राजस्थान उच्च न्यायालय में प्रत्यावर्तन की मांग की।
उन्होंने अनौपचारिक रूप से अनुरोध किया है कि यदि राजस्थान उच्च न्यायालय में उनका प्रत्यावर्तन संभव नहीं है, तो वे चंडीगढ़ में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं की प्रकृति को देखते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरण की मांग करेंगे। कॉलेजियम ने कहा कि न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय में वापस लाना संभव नहीं है। स्वास्थ्य कारणों को ध्यान में रखते हुए उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाता है।