उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के 13वें मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्रा (13th UP CM Sripati Mishra) का लंबी बीमारी के बाद 7 दिसंबर, 2002 को लखनऊ में निधन हुआ था। छात्र जीवन से ही राजनीति में गहरी रुचि रखने वाले श्रीपति मिश्रा ने गांव का प्रधान बनने के लिए जज की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।
परीक्षा की तैयारी करते हुए लड़ा चुनाव
श्रीपति मिश्र का जन्म 20 जनवरी, 1924 को जौनपुर के एक गांव में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एमए और लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी किया था। इसके बाद उन्होंने Judicial Services Examination की तैयारी करते हुए सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
1954 से 1958 तक रहे मजिस्ट्रेट
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव हारने के बाद श्रीपति मिश्रा ने 1954 में फर्रुखाबाद की जिला अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट नौकरी शुरु की थी। करीब चार साल सरकारी नौकरी करने के बाद उन्होंने 1958 में इस्तीफा दे दिया। यह फैसला परिवार और समाज दोनों के लिए हैरान करने वाला था। लेकिन उन्होंने ठान ली थी कि अब राजनीति में ही जाना है।
नौकरी छोड़ गांव पहुंचने के बाद उन्होंने प्राधानी का पर्चा भर दिया। चुनाव जीतने के बाद वह ग्राम प्रधान का पद संभालते हुए सुल्तानपुर जिला कचहरी में प्रैक्टिस भी करने लगे। कुछ ही सालों में वह इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच में वकालत करने लगे। हालांकि रुचि अभी भी राजनीति में ही थी।
फिर लौटे राजनीति की ओर
श्रीपति मिश्रा 1962 में एक बार फिर राजनीति की ओर लौट। इस बार वह कांग्रेस में शामिल हुए। उन्हें सुल्तानपुर जिले के कादीपुर विधानसभा सीट से टिकट मिली। इसी वर्ष वह पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। 1967 में मिश्रा फिर से पड़ोसी जयसिंहपुर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीते, और डिप्टी स्पीकर के रूप में चुने गए।

कांग्रेस का छोड़ा साथ
साल 1969 में मिश्रा चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल (BKD) में शामिल हो गए। तब उन्होंने BKD के टिकट पर सुल्तानपुर लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि उन्होंने चरण सिंह के नेतृत्व वाली यूपी सरकार में मंत्री बनने और राज्य विधान परिषद चुने जाने के बाद उन्होंने सांसदी छोड़ दी।
1971 में मिश्रा ने बीकेडी भी छोड़ दी और कांग्रेस में वापस आ गए। 1976 में यूपी सरकार ने उन्हें राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया। 1980 के यूपी विधानसभा चुनावों में मिश्रा ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सुल्तानपुर की इस्सौली सीट से चुनाव लड़ा और जीते।
वी.पी. सिंह ने छोड़ी कुर्सी, तो मिश्रा बने मुख्यमंत्री
तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी सिंह के अचानक इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने श्रीपति मिश्रा का आगे किया। 18 जुलाई, 1982 को उन्हें सर्वसम्मति से कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता चुना गया। 19 जुलाई, 1982 को उन्होंने यूपी के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।