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अब ADG रैंक अधिकारी के हाथ में होगी SPG की कमान, PM की सुरक्षा इसी एजेंसी के पास, जानिए 38 साल पहले क्यों बना था

History Of Special Protection Group: SPG का विचार साल 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आया था।

SPG
वाजपेयी शासन में एच डी देवगौड़ा, आई के गुजराल और पी वी नरसिम्हा राव जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई थी। (Photo Credit – PTI)

स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के नियमों में गृह मंत्रालय ने नए बदलाव किए हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले इस दल की कमान अब भारतीय पुलिस सेवा के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) स्तर के अधिकारी के पास होगी। जूनियर अधिकारियों को शुरुआती छह साल के लिए नियुक्ति किया जाएगा। गुरुवार को गृह मंत्रालय ने नए बदलाव की घोषणा स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एक्ट, 1988 (1988 के 34) के तहत राजपत्र अधिसूचना जारी कर की।  

SPG एक आर्मर्ड ग्रुप है, जिसे विशेष रूप से देश के प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। वर्तमान में SPG में 3000 जवान हैं। इसकी शुरुआत साल 1985 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या (1984) के बाद हुई थी।

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में क्या है?

नोटिफिकेशन के अनुसार, SPG का मुख्यालय पहले की तरह ही नई दिल्ली में होगा। डायरेक्टर की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। इस पद पर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADG) रैंक से कम के अधिकारी को नियुक्त नहीं किया जाएगा।

अधिसूचना में लिखा है कि “अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों को छोड़कर एसपीजी के अन्य सदस्यों को शुरुआत में छह साल के लिए नियुक्त किया जाएगा। उन्हें अगला कार्यकाल केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद मिलेगा, लेकिन उससे पहले पुराने रिकॉर्ड देखे जाएंगे।”

अधिसूचना में कहा गया है कि एसपीजी के निदेशक कार्यात्मक प्रमुख होंगे और अधिनियम में सौंपे गए कर्तव्यों के कार्यान्वयन के अलावा केंद्र सरकार द्वारा सौंपे गए अन्य कर्तव्यों, आदेशों और निर्देशों के लिए जिम्मेदार होंगे।

2019 में हुआ संशोधन

एसपीजी एक्ट, 1988 में साल 2019 में संशोधन किया गया था, जिसके अनुसार SPG अब केवल वर्तमान प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आधिकारिक आवास में रहने वाले उनके परिवार के सदस्यों को ही सुरक्षा देगा।

इसके अलावा SPG पूर्व प्रधानमंत्रियों और उन्हें आवंटित आवास में उनके साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों की भी सुरक्षा करेगी। लेकिन यह सुविधा पद छोड़ने की तिथि के पांच वर्ष बाद तक ही मिलेगा।  

SPG क्या है?

SPG (विशेष सुरक्षा दल) एक सशस्त्र बल है। यह दल गवर्मेंट ऑफ इंडियन के कैबिनेट सचिवालय के अंतर्गत आता है। SPG प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के करीबी सदस्यों को सुरक्षा देता है। वर्तमान में इस दल में करीब 3000 जवान हैं। SPG को फिजिकल एबिलिटी, निशानेबाजी, अचानक छिड़ी लड़ाई और प्रॉक्सिमेट प्रोटेक्शन टैक्टिस के लिए सबसे ज्यादा ट्रेनिंग दी जाती है। निर्धारित व्यक्ति को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए SPG को केंद्र व राज्य के अन्य सुरक्षा विभागों से भी सहायता मिलती है।

आम तौर पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी के जवान काला चश्मा लगाते हैं, ब्लैक वेस्टर्न बिजनेस सूट पहनते हैं, कान में एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन इयरपीस लगाते हैं और छुपा हुआ हैंडगन रखते हैं। SPG के कमांडो विशेष अवसरों पर सफारी सूट पहनते हैं। एसपीजी के पास विशेष ऑपरेशन कमांडो भी होते हैं जो अल्ट्रा-मॉडर्न असॉल्ट राइफलें ले जाते हैं और इनबिल्ट कम्युनिकेशन ईयरपीस, बुलेटप्रूफ वेस्ट, दस्ताने और कोहनी/घुटने के पैड के साथ डार्क-विजर सनग्लासेस पहनते हैं।

SPG का इतिहास

साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उच्च पदों पर बैठे लोगों की सुरक्षा संबंधी सवालों पर बहस शुरू हुई। 1985 बीरबल नाथ समिति का गठन किया गया। समिति का काम यह सुझाव देना था कि देश के शीर्ष नेताओं की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित हो। मार्च 1985 में समिति ने विशेष सुरक्षा इकाई (Special Protection Unit-SPU) के गठन का सुझाव दिया। बाद में इसी का नाम बदलकर Special Protection Group कर दिया गया।

शुरुआत के तीन वर्षों तक तो यह दल कार्यकारी आदेशों के तहत काम करता रहा। साल 1988 में इसे लेकर संसद में एक एक्ट पास किया गया, जिसे अब SPG ACT, 1988 के नाम से जाना जाता है। इस एक्ट के तहत SPG का काम पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा देना नहीं था।

लेकिन 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद एक्ट में बदलाव हुआ। इसके बाद SPG के हाथ में पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी आ गई। पूर्व प्रधानमंत्रियों को 10 साल तक यह सुरक्षा मिलने लगी। लेकिन वाजपेयी सरकार ने साल 2003 में एक्ट में एक बार फिर संशोधन कर अवधि को एक साल कर दिया।

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First published on: 26-05-2023 at 12:07 IST
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