सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले दिनों अडानी-हिंडनबर्ग मामले (Adani Hindenburg Case) की जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अभय मनोहर सापरे (Justice Abhay Manohar Sapre) की अगुवाई में गठित इस कमेटी में कुल 6 लोग हैं। जिसमें चर्चित एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन (Somasekhar Sundaresan) का नाम भी है।
सोमशेखर सुंदरेसन (Somasekhar Sundaresan) के नाम को लेकर लंबे वक्त से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली कॉलेजियम (Collegium System) ने एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन का नाम बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में बतौर जज नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को भेजा था, जिसे केंद्र ने मंजूरी नहीं दी।
कॉलेजियम ने केंद्र को दो बार भेजा नाम
बॉम्बे हाई कोर्ट कॉलेजियम ने पहली बार अक्टूबर 2021 में सोमशेखर सुंदरेसन का नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को बतौर जज नियुक्ति के लिए भेजा था। इसके बाद 16 फरवरी 2022 को उनका नाम दोबारा भेजा गया। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सुंदरेसन का नाम केंद्र को प्रस्तावित किया, लेकिन केंद्र ने मंजूरी नहीं दी। दूसरी बार सोमशेखर सुंदरेसन का नाम भेजने के करीब 5 महीने बाद केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्ति के लिए 9 नामों को मंजूरी दे दी।
कॉलेजियम दे चुका है केंद्र को जवाब
लेकिन सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से सोमशेखर सुंदरेसन के नाम पर दोबारा विचार करने को कहा। केंद्र सरकार का तर्क है कि सुंदरेसन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पेंडिंग केसेस को लेकर राय रखी है, जो ठीक नहीं है। बाद में कॉलेजियम ने सरकार के इस तर्क का जवाब देते हुए कहा था कि किसी मसले पर किसी अभ्यर्थी की राय उसकी अयोग्यता का कारण नहीं हो सकता है।
टॉप कॉरपोरेट लॉयर्स में सुंदरेसन की गिनती
साल 1996 में मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई करने वाले सोमशेखर सुंदरेसन पत्रकार भी रहे हैं और 5 सालों तक जर्नलिज्म किया। इसके बाद उन्होंने वकालत की शुरुआत की। सुंदरेसन की गिनती देश के टॉप कॉरपोरेट लॉयर्स में होती है।
ट्रेकिंग के शौकीन हैं सुंदरेसन
सुंदरेसन निरमा यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्य भी हैं और इंडियन लॉ रिव्यू जर्नल के एडवाइजरी बोर्ड के मेंबर भी हैं। सुंदरेसन को ट्रेकिंग का भी शौक है।