कॉलेजियम (Collegium System) और केंद्र सरकार (Central Government) के बीच न्यायिक नियुक्तियों (Judicial Appointments) को लेकर विवाद जारी है। इस कड़ी में नया नाम सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर (Senior Advocate Anand Grover) का जुड़ा है। ग्रोवर ने न्यायिक बिरादरी से न्यायपालिका (Judiciary) के साथ खड़े होने की अपील की है।
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आनंद ग्रोवर ने बार (BAR) की ख़ामोशी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बार को स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए। अगर बार मजबूत नहीं है, तो न्यायपालिका के मजबूत होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। बार की तरफ से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है।कॉलेजियम की तारीफ करते हुए ग्रोवर ने कहा है:
हम संकट के दौर से गुजर रहे हैं। लेकिन मैं कहूंगा कि कॉलेजियम ने स्थिति को संभाल लिया है। हालांकि कई स्ट्रक्चरल समस्याएम बनी हुई हैं।
दरअसल गणतंत्र दिवस से पहले बुधवार को ‘द लंदन स्टोरी’ (The London Story) नामक एक थिंक टैंक ने वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। यह यूरोपीय संघ में भारतीय डायस्पोरा द्वारा चलाया जाने वाला थिंक टैंक है। चर्चा का विषय ‘Taking stock of constitutional rights protection in India’ था।
कार्यक्रम में आनंद ग्रोवर के अलावा, अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Advocate Prashant Bhushan), शाहरुख आलम (Advocate Shahrukh Alam) और यूरोपीय संसद के सदस्य अल्विना अलमेत्सा (Member Of The European Parliament Alviina Alametsä) भी शामिल हुए थे।
‘इमरजेंसी से भी खराब स्थिति’
आनंद ग्रोवर का मानना है कि मौजूदा समय में न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व खतरे में है। संवैधानिक मूल्य संकट में हैं। वह कहते हैं, यह एक बहुत खतरनाक स्थिति है। हालांकि यह पहली बार नहीं है। पहले भी संवैधानिक मूल्यों पर हमला हुआ था। आपातकाल के दौरान न्यायपालिका ने दम तोड़ दिया था लेकिन आज स्थिति अधिक गंभीर है।
ग्रोवर ने कहा है कि ऐतिहासिक रूप से मजबूत सरकार का उदय न्यायपालिका और न्यायिक स्वतंत्रता की कीमत पर हुआ है। और ऐसा सिर्फ भारत में नहीं हुआ है। दुनिया भर की यही हालत है। न्यायपालिका का राजनीतिकरण बढ़ा है।
पुलिस की मिलीभगत से मुसलमानों की लिंचिग
आनंद ग्रोवर का मानना है कि देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है। सिस्टमैटिक तरीके से उनके साथ हिंसा और भेदभाव किया जा रहा है। मुस्लिमों की लिंचिंग में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए आनंद ग्रोवर ने कहा है कि मुसलमानों की लिंचिंग एक प्रमुख मुद्दा है। मुसलमानों की लिंचिंग में पुलिस की मिलीभगत होती है। घटनाओं के बाद उनकी जवाबदेही तय नहीं होती है। देश में बहुलता और धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर कर दिया गया है। अल्पसंख्यक अपने ही देश में दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह महसूस करते हैं।