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द‍िल्‍ली में एक साल में 6100 बार लगी धारा 144, पूर्व सीजेआई ने कहा- SHOCKING

रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 2021 के दौरान 6100 बार धारा 144 लगाई गई थी। पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने इस पर हैरानी जताई है।

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पूर्व सीजेआई यू यू ललित (ANI PHOTO)

पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित (Former CJI UU Lalit) ने दिल्ली में सेक्शन 144 के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सेक्शन 144 इमरजेंसी परिस्थितियों के लिए था और यह कानून से संचालित लोकतंत्र के लिए उपयुक्त नहीं है। बेजा इस्तेमाल बेहद परेशान करने वाला है।

जस्टिस ललित ‘द यूज एंड मिसयूज ऑफ सेक्शन 144 सीआरपीसी: एन इंपार्शियल एनालिसिस ऑफ ऑल द ऑर्डर्स पास्ड इन 2021 इन दिल्ली’ (The Use and Misuse of Section 144 CrPC: An empirical analysis of all the orders passed in 2021 in Delhi) नाम की रिपोर्ट के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। रिपोर्ट में इस बात का विश्लेषण किया गया है कि दिल्ली में साल 2021 में 144 के जो 6100 आदेश पारित किये गए थे, उनमें से 5400 मामलों में किस तरह अनावाश्यक इमरजेंसी परिस्थितियों में इस्तेमाल किया गया।

‘144 का ऐसा इस्तेमाल शॉकिंग’

जस्टिस ललित ने कहा कि रिपोर्ट में जिन बातों का जिक्र है, वह बहुत शॉकिंग है। यह चौंकाने वाला और समाज की आंखें खोलने वाला है। हम चाहते हैं कि हमारे हर दिन के कामकाज कानून से संचालित हों और अथॉरिटीज अपनी शक्तियों का उपयोग कानून के मुताबिक करें।

जस्टिस ललित ने कहा कि मुझे पता ही नहीं था कि 144 का इस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। एक लोकतंत्र में शक्तियों का इस तरह दुरुपयोग कतई स्वीकार नहीं है। दिल्ली में 1 साल में 144 के 6100 आदेश? यह पैटर्न तो बेहद चिंताजनक है। किसी भी शक्ति का ऐसे उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, जिसके लिए वह बनी ही ना हो।

‘ऐसे में हर वक्त तलवार लटकती रहेगी’

पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि अगर किसी ने मुझसे पहले ऐसा कहा होता तो मुझे हंसी आती। सेक्शन 144 का डीएम, पुलिस या दूसरे अफसर किसी आपात स्थिति में इस्तेमाल कर सकते हैं। साफ-साफ बताया गया है कि कब और कहां इस्तेमाल करना है। ऐसे में तो हर वक्त आपके ऊपर तलवार लटकती रहेगी।

क्या है CRPC का सेक्शन 144?

अक्सर आपने सुना होगा कि किसी इलाके में 144 लगा दिया गया है। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड यानी सीआरपीसी (CRPC) एक्ट 1973 का सेक्शन 144 एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या समकक्ष अधिकारी को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी एक जगह 4 या उससे ज्यादा लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दे। इसके अलावा प्रतिबंधित जगह पर हथियार ले जाने पर भी रोक लगा सकता है।

कब लगती है धारा144?

कानून के जानकार बताते हैं कि सेक्शन 144 ऐसी परिस्थिति में लगाया जाता है जब कानून व्यवस्था के सामने चुनौती हो, आमजन की जान मुसीबत में हो और समाज में अशांति का खतरा हो। अक्सर हिंसाग्रस्त या अशांत इलाकों में सेक्शन 144 लगाया जाता है।

कितने दिन के लिए लगती है धारा 144?

धारा 144 (Section 144) अधिकतम 2 महीने के लिए लगाई जा सकती है। विपरीत परिस्थितियों में प्रशासन इसे और 2 महीने के लिए बढ़ा सकती है। कुल वैधता 6 महीने की हो सकती है। परिस्थिति सामान्य होने पर धारा 144 को वापस लिया जा सकता है।

धारा 144 के उल्लंघन पर क्या सजा?

धारा 144 का उल्लंघन करने पर पुलिस आपको गिरफ्तार कर सकती हैं। गिरफ्तारी धारा 107, 151 के तहत की जा सकती है। 144 के उल्लंघन पर 1 साल की कैद की सजा भी हो सकती है। यह जमानती अपराध है, ऐसे में जमानत हो सकती है।

चर्चित रहा है 1970 का ‘मधु लिमये बनाम सब-डिविज़नल मजिस्ट्रेट’ केस

धारा 144 लंबे वक्त से विवादों में रही है। साल 1970 का ‘मधु लिमये बनाम सब-डिविज़नल मजिस्ट्रेट’ बहुचर्चित रहा है। तब भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एम हिदायतुल्लाह की अगुवाई वाली 7 जजों की बेंच ने कहा था कि ‘144 के तहत मजिस्ट्रेट की शक्ति कोई सामान्य प्रशासनिक सत्य नहीं है। बल्कि न्यायिक तरीके से इस्तेमाल की जाने वाली शक्ति है और इसकी न्यायिक जांच भी की जा सकती है’।

2012 में भी उछला था मामला

साल 2012 में भी धारा 144 का मामला सुर्खियों में रहा था। तब रामलीला मैदान में आंदोलनकारियों पर धारा 144 लगाने पर सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी तीखी आलोचना की थी। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि 144 की शक्तियों का इस्तेमाल केवल गंभीर स्थितियों में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए ही किया जा सकता है।

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First published on: 27-03-2023 at 13:46 IST
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