रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया-आठवले (RPI-A) के मुखिया और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने आगामी चुनावों में उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी के लिए ज्यादा भूमिका की मांग की है। इसके लिए उन्होंने भाजपा नेताओं से शुरुआती बातचीत भी की है और समय आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के सामने भी प्रस्ताव रखने वाले हैं। आठवले ने जनसत्ता.कॉम के साथ इंटरव्यू में यह बात कही।
आठवले आगामी चुनावों में यूपी में भी अपने लिए बड़ी भूमिका देख रहे हैं। उनका मानना है कि दलितों की नेता मानी जाने वालीं मायावती यूपी में कमजोर पड़ गई हैं, ऐसे में बीजेपी को आठवले को यूपी में उठाना चाहिए।
रामदस आठवले की पहली चाहत- शिरडी से लोकसभा पहुंचें
रामदास आठवले भाजपा से अपने लिए शिरडी लोकसभा क्षेत्र मांगने वाले हैं। रामदास आठवले 2009 में शिरडी से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। उनका कहना है कि वैसे तो राज्यसभा में उनका कार्यकाल 2026 तक है, लेकिन वह लोकसभा में जाना चाहते हैं।
रामदास आठवले से इंटरव्यू का पूरा वीडियो Ramdas Athawale Interview Full Video
लोकसभा के लिए भी शिरडी (महाराष्ट्र) उनकी पंसदीदा सीट है। इस बारे में उन्होंने महाराष्ट्र के बड़े भाजपा नेताओं से बात की है और अपनी इच्छा बताई है। आने वाले समय में वह बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी यह मांग रखेंगे।


दूसरी मांग और आठवले का यूपी प्लान
लोकसभा चुनाव 2024 में रामदास आठवले उत्तर प्रदेश में बीजेपी से अपनी पार्टी आरपीआई-ए के लिए ज्यादा बड़ी भूमिका की अपेक्षा रखते हैं। आठवले का कहना है कि उत्तर प्रदेश में जो मुसलमान वोटर्स बीजेपी को वोट देना नहीं चाहते, वे आरपीआई को दे सकते हैं। साथ ही, मायावती की कमजोर स्थिति को देखते हुए दलित वोटर्स भी आरपीआई की ओर आ सकते हैं। इसलिए बीजेपी को चाहिए कि वह उत्तर प्रदेश में आरपीआई की भूमिका बढ़ा कर अपने आप को और ज्यादा मजबूत करे। आठवले ने बताया कि वह इस बारे में भी बीजेपी नेतृत्व के सामने प्रस्ताव रखेंगे।
यूपी की स्थिति
उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीट हैं। इनमें से 17 एससी के लिए सुरक्षित हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में इनमें से ज्यादातर सपा ने बसपा के लिए छोड़ दी थीं। लेकिन, बसपा केवल दो सीटें ही जीत पाईं। रामदास आठवले का कहना है कि दलितों की नेता के रूप में मायावती कमजोर हुई हैं। मायावती को वोट नहीं देने वाले उनके पारंपरिक वोटर्स को आठवले अपनी ओर लुभा सकते हैं, ऐसा वह मानते हैं। इसी आधार पर वह उत्तर प्रदेश में भाजपा से आरपीआई-ए के लिए अपेक्षाकृत बड़ी भूमिका की मांग करने वाले हैं।
एक और उम्मीद- महाराष्ट्र में मिले मंत्री का पद
रामदास आठवले को उम्मीद है कि महाराष्ट्र में जब कैबिनेट विस्तार होगा तो उनकी पार्टी के भी एक या दो नेताओं को मंत्री का पद दिया जाएगा। सत्ता में भागीदारी के सवाल पर आठवले ने कहा कि महाराष्ट्र में उनकी पार्टी की हैसियत अच्छी है और उम्मीद है, एकनाथ शिंदे सरकार में उन्हें भागीदारी मिलेगी।
आठवले ने साफगोई से बताया कि जब वह शिरडी लोकसभा चुनाव हारे तो उन्हें यूपीए सरकार में मंत्री पद देने से मना कर दिया गया। सोनिया गांधी और शरद पवार एक-दूसरे का नाम लेकर उन्हें टालने लगे। तब उन्होंने बाला साहब ठाकरे से बात की और शिवसेना के साथ हो लिए। एनडीए सरकार में वह 2016 से ही मंत्री हैं।
वैसे, आठवले पहली बार करीब 30 साल की उम्र में ही महाराष्ट्र में कैबिनेट मंत्री बन गए थे। तब वह पढ़ाई ही कर रहे थे। हॉस्टल से सीधे मंत्री बनने पहुंच गए थे।
आठवले की पसंदीदा शिरडी लोकसभा सीट का हाल
शिरडी 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले कोपरगांव लोकसभा सीट का हिस्सा था। 2009 में जब पहली बार शिरडी लोकसभा सीट के लिए चुनाव हुआ तो रामदास आठवले भी मैदान में उतरे थे। उन्हें 2,27,170 वोट (34 प्रतिशत) मिले थे। शिवसेना के भाऊसाहब वाकचाउरे को 3,59,921 (54 फीसदी) वोट पाकर जीते थे।
2014 में जब भाऊसाहब शिरडी से लड़े तो वह कांग्रेस में थे और हार गए थे। इसके कुछ ही समय बाद वह भाजपा में चले गए थे और बाद में वहां बागी हो गए थे। 2019 में वह शिरडी से निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन केवल 35, 526 वोट ही पा सके।
शिरडी लोकसभा सीट पर 2009 से लगातार शिवसेना ही जीतती आ रही है। इस बार शिवसेना टूट गई है। इस टूट से रामदास आठवले को अपने लिए संभावना थोड़ी मजबूत दिखाई दे रही है।
शिरडी में वोटर्स
2019 के लोकसभा चुनाव के समय के आंकड़ों के मुताबिक शिरडी में मतदाताओं की कुल संंख्या 1598957 है। इनमें से करीब 25 फीसदी अनुसूचित जाति (एससी) व जनजाति (एसटी) के हैं। यह सीट एससी के लिए सुरक्षित है।
कुल वोटर्स : 1598957
एससी : 201,469
एसटी : 217,458
मुस्लिम : 107,435