17 अगस्त 1569 को जब जोधाबाई (Jodha Bai) ने शहजादे सलीम (Salim) को जन्म दिया तो अकबर खुशी से झूम पड़े। उस दिन अकबर (Akbar), आगरा के किले में थे। सलीम की पैदाइश पर तमाम कैदियों की रिहाई का ऐलान कर दिया। एक से बढ़कर एक हीरे-जवाहरात और तोहफे बांटे। उस दिन अकबर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उनके एक के बाद एक बच्चे पैदा होते ही मौत के मुंह में समा गए थे। मुगल साम्राज्य का वारिस नजर नहीं आ रहा था और तमाम मन्नतों के बाद सलीम का जन्म हुआ।
अकबर (Akbar) ने शहजादे सलीम (Prince Salim) की परवरिश में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दुनिया के तमाम कोने से एक से बढ़कर एक आलिम (शिक्षक) बुलवाए गए। हालांकि एक वक्त ऐसा आया जब शहजादे सलीम ने ही अकबर के खिलाफ बगावत कर दी। बगावत की कई वजहें थीं।
भाई की तरफ झुकाव देख आग बबूला हो गए सलीम
सलीम के बाद अकबर (Akbar) की दो और औलादें हुईं। सुल्तान मुराद और सुल्तान दानियाल। लेकिन सबसे बड़ा बेटा होने के नाते गद्दी के वारिस सलीम ही थे, लेकिन धीरे-धीरे अकबर (Akbar) सुल्तान दानियाल के करीब जाने लगे। historytoday पर एक लेख में मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार रिचर्ड कावेंडिश (Richard Cavendish) लिखते हैं किड दानियाल को लड़ाई के दौरान लाल रंग का टेंट लगाने की इजाजत दे दी गई, जो सिर्फ बादशाह लगा सकते थे। इससे सलीम बेहद नाराज हुए।
अकबर ने लगाया जहर देने का आरोप
इन सब के बीच एक बार अकबर (Akbar) बुरी तरह बीमार पड़ गए। उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था। बादशाह के सबसे वफादार अबुल फजल ने उनसे कह दिया कि शहजादे सलीम ने उनको जहर दिया है। बाद में अकबर ने शहजादे सलीम को सबसे सामने ज़लील करते हुए कहा कि ‘अगर तुम्हें गद्दी चाहिए थी तो थोड़ा और इंतजार कर लेते, जहर देने की क्या जरूरत थी?’ अकबर की यह बात सलीम को चुभ गई।
शराब और अफीम के नशे में डूब गए
अकबर, शहजादे सलीम की अय्याशियों और हरकतों से तंग आ गए थे। सलीम बुरी तरह अय्याशी और नशे की लत में डूब गए थे। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक शाज़ी ज़मां अपनी किताब ”अकबर” में लिखते हैं कि उन दिनों सलीम, इलाहाबाद में थे। बादशाह अकबर को इलाहाबाद से परेशान करने वाली खबरें मिलने लगीं। शहजादे सलीम को शराब की लत लग चुकी थी। शराब से भी नशा नहीं चढ़ता तो उसमें अफीम मिलाकर पीने लगे।
मामूली गलती पर कटवा दिया था गुप्तांग
शहजादे सलीम (Salim) क्रूरता की हदें भी पार करते जा रहे थे। उन्होंने एक शख्स की जिंदा खाल उतरवा दी। अपने ही एक कर्मचारी की मामूली गलती पर उसका गुप्तांग कटवा दिया। अकबर तक यह खबर पहुंची तो वे आग-बबूला हो गए। उन्होंने कहा कि मैंने कोशिश की कि सल्तनत में एक चींटी को भी चोट ना आए। हमारे इज्जतदार बेटे ने ऐसी हिमाकत कैसे की?
नूरजहां से प्रेम पर ख़फा हो गए थे अकबर
अकबर और सलीम के बीच लड़ाई की जो सबसे बड़ी वजह थी, वो थीं मेहरुन्निसा, जो बाद में नूरजहां (Salim and Nur Jahan Love Story) के नाम से मशहूर हुईं। नूरजहां बला की खूबसूरत थीं, लेकिन विधवा थीं। नूरजहां का परिवार ईरान से भाग कर आया था और उनके पिता मुगल दरबार में क्लर्क हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे प्रधानमंत्री की गद्दी तक पहुंच गए थे।

जब शहजादे सलीम और नूरजहां की प्रेम कहानी के बारे में अकबर को पता चला तो वे आपे से बाहर हो गए। उनका कहना था कि नूरजहां किसी प्रतिष्ठित परिवार से नहीं हैं और उनसे रिश्ता, मुगलों के लिए तौहीन है।
हालांकि सलीम (Salim) ने पिता अकबर की बात नहीं मानी। आपको बता दें कि अकबर की मौत के बाद शहजादे सलीम मुगल सल्तनत की गद्दी पर बैठे, जो नूरूद्दीन मोहम्मद जहांगीर (Jehangir) के नाम से जाने जाते हैं। जहांगीर, 1569 से 1627 तक मुगल सल्तनत की गद्दी पर रहे।