महाराष्ट्र प्रकरण में अब नया ट्विस्ट आया है। 13 नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की ऑनलाइन ट्रोलिंग के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। पत्र में नेताओं ने तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया है। विपक्षी नेताओं ने सीजेआई की ऑनलाइन ट्रोलिंग को न्याय के रास्ते में हस्तक्षेप बताया है और कहा है कि ऐसा महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार के समर्थक कर रहे हैं।
पत्र में क्या लिखा है?
राष्ट्रपति को भेजे पत्र में विपक्षी नेताओं ने लिखा है, “हम सभी जानते हैं कि भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ महाराष्ट्र में सरकार गठन और राज्यपाल की भूमिका के मामले में सुनवाई कर रही है। यह एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दा है।
हम सभी जानते हैं कि भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ महाराष्ट्र में सरकार गठन और राज्यपाल की भूमिका के मामले में सुनवाई कर रही है।
जबकि मामला अभी सब-जुडिस है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार की समर्थक ट्रोल आर्मी ने भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ एक अभियान छेड़ दिया है। सीजेआई के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह निंदनीय है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाखों लोगों ने इसे देखा है।” विपक्षी नेताओं ने यह पत्र 16 मार्च को लिखा था।
किन नेताओं ने लिखा है पत्र?
राष्ट्रपति को भेजा गया पत्र कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने लिखा है। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, शक्तिसिंह गोहिल, प्रमोद तिवारी, अमी याग्निक, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी, आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी और समाजवादी पार्टी की नेता जया बच्चन और राम गोपाल यादव ने इस पत्र के समर्थन में हस्ताक्षर किया है। विवेक तन्खा ने इस मुद्दे को भारत के महान्यायवादी आर वेंकटरमन के सामने भी उठाया है। उन्होंने वेंकटरमन को भी पत्र लिख सीजेआई की हो रही ट्रोलिंग की जानकारी दी है।
क्यों हो रही है ट्रोलिंग?
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में विपक्षी नेताओं ने इस बात को भी स्पष्ट कियाा है। पत्र में नेताओं ने बताया है कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा में कराए गए फ्लोर टेस्ट की वैधता से संबंधित एक मामले की सुनवाई की थी, जिसके बाद ऑनलाइन ट्रोल्स ने सीजेआई और न्यायपालिका पर हमला शुरू किया है।
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने क्या कहा था?
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) बनाम शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) मामले में सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फ्लोर टेस्ट कराने के राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाया था।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था, “आप सिर्फ इसलिए विश्वास मत के लिए नहीं बुला सकते क्योंकि किसी पार्टी के भीतर मतभेद है। पार्टी के भीतर मतभेद फ्लोर टेस्ट बुलाने का आधार नहीं हो सकता। आप विश्वास मत नहीं मांग सकते। नया नेता चुनने के लिए फ्लोर टेस्ट कराना जरूरी नहीं है। पार्टी का मुखिया कोई और बन सकता है। राज्यपाल का वहां कोई काम नहीं, जब तक कि गठबंधन के पास संख्या पर्याप्त है। ये सब पार्टी के अंदरुनी अनुशासन के मामले हैं। इनमें राज्यपाल के दखल की जरूरत नहीं है।”
सीजेआई ने आगे पूछा था, “किस बात ने राज्यपाल को आश्वस्त किया कि सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है। राज्यपाल को इन सभी 34 विधायकों को शिवसेना का हिस्सा मानना चाहिए। राज्यपाल के सामने यह फैक्ट था कि 34 विधायक शिवसेना का हिस्सा हैं। अगर ऐसा है तो राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट क्यों बुलाया। इसका एक ठोस कारण बताना चाहिए।”
पिछले साल गिरी थी सरकार, अब कोर्ट में मामला
पिछले साल जून में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी। दरअसल शिवसेना के 35 विधायकों ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत कर दिया था, जिसके बाद राज्यपाल ने उद्धव सरकार को बहुतम साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। उस वक्त राज्यपाल के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे की शिवसेना सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थी, लेकिन कोई राहत नहीं मिली थी।
उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा सभा में फ्लोर टेस्ट हुआ और उद्धव गुट बहुमत साबित नहीं कर पायी। उसके बाद राज्य में एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना लिया। उद्धव ठाकरे से शिवसेना का का नाम और सिंबल भी छिन गया। अब एकनाथ शिंदे के पास पार्टी का नाम और सिंबल है।
महाराष्ट्र के गठित नई सरकार के खिलाफ उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। उन्होंने विधायकों के बगावत और राज्यपाल द्वारा दिए गए फ्लोर टेस्ट के आदेश को चुनौती दी है। लंबी सुनावई के बाद उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।