ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) लाइमलाइट से दूर रहकर काम करने वाले राजनेता के रूप में जाने जाते हैं। पटनायक के नाम को सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री (Chief minister of Odisha) रहने वाले नेताओं की सूची में शामिल किया जाता है। वह सन् 2000 से लगातार ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं।
दिलचस्प बात यह है कि वयस्क होने के बाद तक नवीन पटनायक का अधिकतर समय ओडिशा के बाहर ही बीता था। पिता बीजू पटनायक की मृत्यु के बमुश्किल एक महीने बाद जब नवीन पटनायक अस्का संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव लड़ रहे थे, तब उन्हें बिल्कुल भी ओडिया बोलने नहीं आती थी। उस वक्त तक वह ओडिशा के इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से परिचित भी नहीं थी।
नवीन पटनायक घर में भी पश्चिमी लहजे की अंग्रेजी बोलने के अभ्यस्त थे। नवीन पटनायक की जीवनी लिख चुके पत्रकार रूबेन बनर्जी बताते हैं कि बीजू पटनायक (ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री) के जिंदा रहने तक जूनियर पटनायक का समय दिल्ली में ही बितता था। उनका एक बुटीक दिल्ली के मशहूर ओबेरॉय होटल हुआ करता था।
फिल्म में किया है काम
पूरी तरह ओडिशा की राजनीति में उतरने से पहले तक नवीन पटनायक की जिंदगी बहुत कलरफुल थी। दुनिया के कई देशों के लोग उनके दोस्त हुआ करते थे। उन्हें ट्रैवल का बहुत शौक था। डनहिल उनका फेवरेट सिगरेट और फ़ेमस ग्राउस (The Famous Grouse) उनकी पसंदीदा व्हिस्की है।
किताबें और सिनेमा भी उन्हें बेहद पसंद है। उनकी इसी दीवानगी की वजह से उन्हें निकोलस मेयर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘द डिसाइवर्स’ में एक छोटा रोल मिल गया था। यह एक एडवेंचर फिल्म थी, जिसमें पियर्स ब्रॉसनन, सईद जाफरी और शशि कपूर थे। फिल्म 1988 में रिलीज हुई थी।

पियर्स ब्रॉसनन वही अभिनेता हैं, जिन्हें जेम्स बॉन्ड की भूमिका के लिए जाना जाता है। फिल्म में नवीन पगड़ी पहने और दाढ़ी रखे नजर आए थे। उनके पास ज्यादा डायलॉग्स नहीं थे। ‘द डिसाइवर्स’ 1952 में जॉन मास्टर्स द्वारा इसी नाम से लिखित उपन्यास पर आधारित थी। वह 102 मिनट की फिल्म थी।
तीन किताब लिख चुके हैं नवीन पटनायक
नवीन पटनायक तीन किताब लिख चुके हैं। पहली किताब 1985 में ‘A Second Paradise; Indian Courtly Life, 1590 – 1947’ नाम से प्रकाशित हुई थी। दूसरी किताब ‘A Desert Kingdom: The Rajputs of Bikaner’ के नाम से 1990 में आयी थी। नवीन पटनायक ने अपनी तीसरी किताब साल 1993 में आयी थी, जिसका नाम ‘The Garden of Life: An Introduction to the Healing Plants of India’ था।
संजय गांधी के क्लासमेट थे पटनायक
नवीन का जन्म 16 अक्टूबर 1946 को कटक में ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और उनकी पत्नी ज्ञान पटनायक के घर हुआ था। उनके परिवार वाले और बचपन के दोस्त उन्हें आज भी पप्पू कहते हैं क्योंकि उनके घर का नाम पप्पू था। शुरुआती शिक्षा उन्होंने कटक के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से ली। कटक में कुछ साल बिताने के बाद वह नई दिल्ली चले गए। इसके बाद उन्होंने देहरादून के प्रतिष्ठित वेल्हम बॉयज़ स्कूल में अपनी पढ़ाई शुरू की।
बाद में उनका नामांकन देहरादून के प्रसिद्ध ‘द दून स्कूल’ में हो गया, जहां संजय गांधी उनके ‘क्लासमेट’ हुआ करते थे। नवीन पटनायक की कला, संस्कृति और इतिहास में गहरी रुचि थी। स्कूल के दिनों में वह इतिहास, चित्रकला और एथलेटिक्स में मेधावी हुआ करते थे। पटनायक ने अपना ग्रेजुएशन आर्ट्स में दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से किया।
कला में स्नातक की डिग्री के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में दाखिला लिया। वह स्कूल में इतिहास, चित्रकला और एथलेटिक्स में उत्कृष्ट थे। वह एक प्रतिभाशाली चित्रकार थे और इतिहास और संस्कृति में उनकी गहरी रुचि है। पटनायक एक प्रसिद्ध लेखक हैं और उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी हैं। रूबने बनर्जी नवीन पटनायक को सोशलाइट बताते हैं।
पटनायक से टीचर परेशान
ओडिशा का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी नवीन पटनायक को उड़िया भाषा नहीं आती थी। उन्हें रोमन में भाषण लिखकर दिया जाता था, जिसे वह स्टेज पर जाकर पढ़ देते थे। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवीन पटनायक के सीएम बनने के तुरंत बाद उन्हें एक सेवानिवृत्त शिक्षक राजकिशोर दास उड़िया पढ़ाने आया करते थे। हालांकि पटनायक के पास क्लास लेने का वक्त नहीं होता था और वह सीएम कार्यालय के काम में व्यस्त रहते थे। इस दौरान उनके टीचर राजकिशोर दास चुपचाप कोने बैठ कॉफी पीते रहते थे। जब बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, तो राजकिशोर दास ने आना ही बंद कर दिया।