Collegium vs Centre: सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम (Collegium) ने केंद्र सरकार को दो टूक कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में बतौर जज नियुक्ति के लिए जिन 5 नामों की पहले सिफारिश की गई थी, उन्हें जल्द से जल्द अप्रूव किया जाए। कॉलेजियम ने 31 जनवरी को 2 नए नामों की भी सिफारिश की है और कहा है कि पहले भेजे गए नामों को, नए नामों पर प्राथमिकता दी जाए।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अगुवाई वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने 31 जनवरी को जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस राजेश बिंदल के नाम की सिफारिश करते हुए कहा कि 13 दिसंबर 2022 को कॉलेजियम द्वारा भेजे गए 5 नामों को, नए नामों पर प्राथमिकता दी जाए और पहले भेजे गए नामों की नियुक्ति का नोटिफिकेशन अलग से जारी किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने जिन दो नए नामों की सिफारिश की है, उनमें से जस्टिस राजेश बिंदल अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। वहीं, जस्टिस अरविंद कुमार गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं।
13 दिसंबर को कॉलेजियम ने ये 5 नाम भेजे थे
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 13 दिसंबर को 5 जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी। जिनमें राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल, पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी संजय कुमार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज मनोज मिश्रा, पटना हाईकोर्ट के जज अहसानुद्दीन अमानुल्लाह शामिल हैं।
नए नामों को अप्रूवल मिला तो SC में पूरी हो जाएगी जजों की संख्या
अगर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा पहले सुझाए गए नए नामों को मंजूरी दे देती हैं तो सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या पूरी हो जाएगी। आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय में कुल 34 न्यायाधीशों के पद हैं।
कॉलेजियम और केंद्र के बीच है टकराव की स्थिति
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच पिछले कई महीनों से टकराव जैसी स्थिति बनी हुई है। कॉलेजियम ने एडवोकेट सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में जज, एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन को बॉम्बे हाईकोर्ट में जज और एडवोकेट आर. जॉन सत्यन को मद्रास हाई कोर्ट में जज बनाने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने इन नामों को मंजूरी नहीं दी थी।
इसके बाद पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बाकायदा बयान जारी कर केंद्र की आपत्तियों का जवाब दिया था, जिसमें खुफिया एजेंसी रॉ और आईबी की रिपोर्ट का भी जिक्र था। बाद में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने इसकी आलोचना की थी।