Gujarat Riots: साल 2002 की बात है। गुजरात (Gujarat) में भाजपा की सरकार (BJP Government) थी। राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) थे। 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन (Godhra Station) पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगी। कई लोगों की मौत हुई। बताया जाता है कि डिब्बे में ‘कारसेवक’ थे, जो अयोध्या (Ayodhya) से लौट रहे थे। इस घटना के बाद पूरे गुजरात में साम्प्रदायिक हिंसा (Gujarat Communal Riots) शुरू हो गई।
मीडिया पर लगा पक्षपात का आरोप
मशहूर पत्रकार और लेखक नलिन मेहता ने अपनी किताब ‘टेलीविजन इन इंडिया’ में बताया है कि टीवी मीडिया अपनी कवरेज में यह नहीं बता रहा था कि अधिकांश पीड़ित पक्ष किस समुदाय का है। यह प्रिंट पत्रकारिता से विरासत में मिला सबक भी था। तब स्टार न्यूज के साथ काम कर रहे एनडीटीवी ने यह बताने का निर्णय लिया कि पीड़ित मुसलमान हैं। एनडीटीवी की तरफ से बरखा दत्त और राजदीप सरदेसाई ने गुजरात के साम्प्रदायिक हिंसा को ग्राउंड से कवर करना शुरु किया।
नरेंद्र मोदी ने NDTV पर लगाया बैन
एनडीटीवी की रिपोर्टिंग से परेशान होकर राज्य की नरेंद्र मोदी सरकार ने एनडीटीवी को पूरे गुजरात में एक दिन के लिए बैन कर दिया था। बाद में मोदी ने एक इंटरव्यू में बताया कि, ”राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त की रिपोर्टिंग से गुजरात में साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया था। मैंने एनडीटीवी के पत्रकारों को फोन कर समझाया भी लेकिन वह नहीं मानें और भुज में हनुमान जी का मंदिर तोड़ने की खबर चला दी। इसी खबर के कारण एनडीटीवी को गुजरात में एक दिन के लिए बैन करना पड़ा।”
बरखा ने किया फैसले का बचाव
गुजरात हिंसा की ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रही बरखा दत्त ने चैनल के निर्णय का बचाव करते हुए कहा था कि, ”जिस समुदाय की घेराबंदी की जा रही थी, उसका नाम बताना न सिर्फ स्टोरी के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि वास्तव में इससे खुलासा हुआ कि कैसे एक पूर्वाग्रही प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था चुपचाप सब कुछ खुशी-खुशी देख रही थी।”
अब अडानी का हो सकता है NDTV
एनडीटीवी में एशिया के सबसे धनवान व्यक्ति गौतम अडानी (Gautam Adani) की एंट्री हो चुकी है। एनडीटीवी के संस्थापक राधिका रॉय और प्रणय रॉय ने चैनल के प्रमोटर ग्रुप आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (RRPRH) के डायरेक्टर्स के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। RRPRH के लिए तीन नए डायरेक्टर नामित किए गए हैं, जिसमें सुदीप्ता भट्टाचार्य, संजय पुगलिया और सेंथिल चेंगलवारायण का नाम शामिल है। (पढ़ें पूरी खबर)
कौन हैं सुदीप्ता भट्टाचार्य, संजय पुगलिया और सेंथिल चेंगलवारायण?
संजय पुगलिया (Sanjay Pugalia) अनुभवी पत्रकार और क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया लिमिटेड में संपादकीय निदेशक हैं। सेंथिल चेंगलवारायण (Senthil Chengalvarayan) CNBC TV18 के संस्थापक संपादक रहे हैं। सुदीप्त भट्टाचार्य (Sudipta Bhattacharya) अडानी समूह से जुड़े हुए हैं। (पढ़ें पूरी खबर)
कैसे हुई थी NDTV की शुरुआत?
NDTV की शुरुआत अर्थशास्त्री डॉ. प्रणय रॉय और पत्रकार राधिका रॉय ने साल 1988 में की थी। एनडीटीवी के चर्चित होने में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक फैसले की बड़ी भूमिका बताई जाती है। प्रणय रॉय और राधिका रॉय बिजनेस पार्टनर होने के साथ-साथ लाइफ पार्टनर भी हैं। (पढ़ें पूरी खबर)
NDTV के पत्रकारों का पॉलिटिकल कनेक्शन
प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने एनडीटीवी की शुरुआती टीम मंत्री, आर्मी जनरल, गवर्नर, कैबिनेट सक्रेटरी जैसे रसूखदार परिवारों के लड़के-लड़कियों को लेकर की थी। (पढ़ें पूरी खबर)
NDTV में रवीश कुमार का सफर
रवीश कुमार ने भी NDTV से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने एनडीटीवी में अपने करियर की शुरुआत चिट्ठी छांटने के काम से की थी। रवीश इतिहास के छात्र रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए आईआईएमसी में दाखिला लिया था। लेकिन पाठ्यक्रम रोचक न लगने के कारण पत्रकारिता की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। (पढ़ें पूरी खबर)