भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ (Justice D.Y. Chandrachud) ने शनिवार को कहा कि प्रख्यात न्यायविद दिवंगत नानी पालकीवाला (Nanabhoy Palkhivala) ने कानून और अर्थशास्त्र में अपने योगदान से समकालीन भारत के इतिहास को आकार दिया।
सीजेआई ने कहा, “नानी ने समकालीन भारत के इतिहास को आकार दिया। जब मैं सोच रहा था कि आज क्या बोलना है, तो मैं अर्थशास्त्र के बारे में सोच रहा था जो उनका जुनून था। एक तरह से यह व्याख्यान वकील और अर्थशास्त्री को श्रद्धांजलि है। उन्होंने संविधान में दिए गए अधिकारों की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। यदि नानी के लिए नहीं होता तो हमारे पास संविधान की मूल संरचना सिद्धांत नहीं होता।”
दरअसल 16 जनवरी को नानी पालकीवाला की जयंती थी। CJI चंद्रचूड़ बॉम्बे बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित नानी पालकीवाला के 18वां मेमोरियल में लेक्चर दे रहे थे। उन्होंने कहा, “नानी पालकीवाला व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए खड़े थे और तत्कालीन सरकार की प्रोटेक्स्टनिस्ट और लाइसेंस राज नीति के खिलाफ थे। वह उन नीतियों के खिलाफ थे, जो लोगों को लीबर्टी और फ्रीडम का इस्तेमाल करने के उनके अधिकार से वंचित करती थी।”

क्रिकेट से ज्यादा भीड़
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने नानी पालकीवाला के भाषण का जिक्र करते हुए कहा, “बजट के बाद उन्होंने अपना पहला भाषण दिया उस जगह पर दिया था, जहां आज ताज स्थित है। मैं भी उनका भाषण सुनने गया था। उनके भाषण को सुनने के लिए इतने लोग जुटे थे, जितना किसी क्रिकेट मैच को देखने के लिए भी नहीं जुटते।”
उदारीकरण का किया था समर्थन
नानी पालकीवाला ने सरकार के उदारीकरण के कदम का स्वागत किया था। सीजेआई बताते हैं, “1992 के बजट भाषण के बाद नानी ने सरकार के कदम की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि अगर भारत को समृद्ध होना है, तो उसे वैश्विक बाजार में उतरना होगा। उस क्रांति ने भारत को एक जीवंत सॉफ्टवेयर उद्योग में शामिल होने में सक्षम बनाया है। वह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।”