Mughal Empire: इतिहास का यह तथ्य बहुत आम है कि ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। ताजमहल के मुख्य गुंबद के नीचे ही मुमताज महल का शव दफन है। हालांकि यह बहुत कम लोग जानते हैं कि शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल के शव को तीन बार दफनाया था। इससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह है कि तीनों बार अलग-अलग जगह दफनाया गया था।
कैसे हुई थी मुमताज महल की मौत?
मुमताज महल शाहजहां की 13वीं पत्नी थीं। शाहजहां के बादशाह बनने के मात्र चार साल के अंदर ही मुमताज महल का मौत हो गई थी। ऐसा कहा जाता है कि वह बेहद खूबसूरत थीं। शाहजहां को अय्याश किस्म का व्यक्ति माना जाता है। लेकिन मुमताज महल के जीवित रहने तक वह उनके लिए ही समर्पित रहे। यहां तक की दूसरी पत्नियों को भी मुमताज के बराबर प्रेम नहीं किया।
इसकी कई प्रकट वजहें भी थीं। जैसे शाहजहां एक हद तक राजपाट के कार्यों के लिए मुमताज पर निर्भर थे। वह दरबार के कार्यों में उनका भरपूर सहयोग करती थीं। उनका निधन 14वें बच्चे को जन्म देते हुए, 30 घंटे की प्रसव पीड़ा के बाद 17 जून, 1631 को बुरहानपुर में हुआ था।
कहां-कहां दफनाया गया था?
क्योंकि मौत बुरहानपुर में हुई थी। इसलिए सबसे पहले मुमताज महल के शव को बुरहानपुर में ही पापी नदी के किनारे एक बाग बगीचे दफनाया गया था। बीबीसी पर प्रकाशित रेहान फ़ज़ल की एक विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक, मुमताज महल की मौत के छह बात उनके शव को कब्र से निकाला गया।
बादशाह शाहजहां के बेटे शाहज़ादे शाह शुजा तब मात्र 15 वर्ष के थे। उनकी ही देखरेख में मुमताज के शव को कब्र से निकाल कर आगरा ले जाया गया। 8 जनवरी, 1632 को मुमताज महल के शव को दूसरी बार यमुना के किनारे दफनाया गया। शव को यमुना के किनारे बनाना एक प्लान का हिस्सा था।
शाहजहां को दो बार शव दफनाने के बाद भी चैन नहीं था। क्योंकि उन्हें मुमताज से किया वादा पूरा करने की बेचैनी थी। उन्होंने अपना वादा पूरा करने के लिए दक्षिणी ईरान से भारत आए मुकम्मत ख़ां जहांगीर को अपना निर्माण मंत्री बनाया।
बादशाह ने अपने निर्माण मंत्री और मीर अब्दुल करीम को आगरा में यमुना के किनारे एक मकबरा बनाने का काम सौंपा। मकबरा तैयार हुआ और उसे ‘रउज़ा-ए-मुनव्वरा’ का नाम मिला। इसी मकबरे में दफा फिर मुमताज महल दफन हुईं। कालांतर में रउज़ा-ए-मुनव्वरा’ मकबरे को ही ताजमहल के नाम से जाना गया।
किस वादे को पूरा करने की बेचैनी में थे शाहजहां?
दरअसल अपनी मौत से ठीक पहले मुमताज महल ने शाहजहां को अपनी कुछ ख्वाहिशें बताईं थीं, कुछ वादे लिए थे। मुमताज ने शाहजहां से वादा लिया था कि वह किसी और महिला से अब संतान पैदा नहीं करेंगे। इसके अलावा उन्होंने अपनी अपने एक सपने का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने सुंदर महल और बाग देखा था।
शाहजहा के दरबारी इतिहासकार इनायत ख़ा ने अपनी किताब ‘शाहजहांनामा’ में लिखा है मुमताज महल ने बादशाह से गुजारिश की थी कि वह उनकी याद में वैसा ही महलनुमा मकबरा बनवाएं। मुमताज की मौत के बाद ताजमहल बनने तक शाहजहां इसी वादे को पूरा करने में बेचैन रहें। उन्होंने जानबूझकर ताजमहल के लिए यमुना किनारे की जमीन चुनी थी ताकि मकबरे के इर्द-गिर्द के बाग-बगीचों को भरपूर पानी मिल सके।