Mughal Author Dara Shikoh: मुगल बादशाह शाहजहां (Mughal Emperor Shah Jahan) के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह (Dara Shikoh) की पढ़ाई-लिखाई में बहुत रुचि थी। जब दारा के भाई सुदूर क्षेत्रों में सैन्य अभियानों को नेतृत्व करते थे। तब दारा शिकोह अपना समय आध्यात्मिक खोज में लगाते थे। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही सूफी रहस्यवाद और कुरान में दक्षता हासिल कर ली थी।
25 साल की उम्र में पहली किताब
भारत में सूफी परंपरा का पहला संगठित रूप ख्वाजा मोइनुद्दी चिश्ती के प्रयास से नजर आता है। वह भारत के प्रथम सूफी संप्रदाय ‘चिश्ती संप्रदाय’ के संस्थापक थे। इन्हीं ख्वाजा मोइनुद्दी चिश्ती की धरती अजमरे में दारा शिकोह का जन्म हुआ था। दारा शिकोह को मुल्ला शाह ने सूफियों के क़ादरी संघ में दीक्षित किया था। मुल्ला शाह दारा के आध्यात्मिक मार्गदर्शक थे।
दारा शिकोह ने मात्र 25 साल की उम्र में अपनी पहली किताब लिख दी थी। किताब का नाम सफ़ीनात-उल-औलियालिखी था। किताब में दारा ने पैगंबर और उनके परिवार के बारे में लिखा था। साथ ही उन्होंने खलीफाओं और भारत में लोकप्रिय पांच प्रमुख सूफी संघों से संबंध रखने वाले संतों की जीवनी भी लिखी थी।
शहज़ादे दारा शिकोह की अन्य कृतियों में रिसाला-ए-हकनुमा, शाथियात या हसनत-गुल-आरिफिन और इक्सिर-ए-आज़म शामिल है। उन्होंने जुग बशिस्त और तर्जुमा-ए-अकवाल-ए-वासिली भी शुरू किया लेकिन पूरा नहीं कर पाए।
उपनिषदों का अनुवाद
दारा शिकोह शाहजहां के उत्तराधिकारी थे। लेकिन उन्हें सियासत और युद्ध की बहुत गहरी समझ नहीं थी। उन्होंने फिलॉसफी, सूफीवाद और आध्यात्मिकता में महारत हासिल कर रखी थी। वह सभी धर्म के साहित्यों को सम्मान के साथ पढ़ते और समझने की कोशिश करते थे। इसके लिए वह अलग-अलग धर्म के विद्वानों से बातचीत भी करते थे।
वह हिंदू धर्म के प्रति मुस्लिमों की समझ को बढ़ाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे। उन्होंने बनारस के पंडितों और संन्यासियों के सहयोग से ’सिर-ए-अकबर’ नामक पुस्तक तैयार की थी। इस पुस्तक में उपनिषदों के 50 अध्यायों का अनुवाद है।
उपनिषदों के अनुवाद के जरिए दारा शिकोह यह साबित करना चाहते थे कि हिंदू धर्म एकेश्वरवाद की उपेक्षा नहीं करता क्योंकि बल्कि उपनिषद् में तो एकेश्वरवाद के स्रोत मिलते हैं। उन्होंने हिंदू धर्म और इस्लाम में समानता बताने के लिए 42 वर्ष की उम्र में ‘मजमा-उल-बहरेन’ लिखा था। किताब के शीर्षक का हिंदी मतलब होता है- दो महासागरों का मिलना।