दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) जेल में हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने उन्हें ‘बेकसूर’ बता रहे हैं। वहीं भाजपा (BJP) सिसोदिया पर लगे आरोपों को सही बता रही है।
स्कूली शिक्षा में सुधार के पोस्टर ब्वॉय बताए जाने वाले मनीष सिसोदिया का एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार से दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचने का सफर काफी दिलचस्प है।
स्कूल मास्टर के बेटे हैं सिसोदिया
मनीष सिसोदिया का जन्म 5 जनवरी, 1972 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में हुआ था। सिसोदिया के पिता एक सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत रहे। स्कूल शिक्षा के बाद मनीष सिसोदिया ने पत्रकारिता की पढ़ाई नई दिल्ली के भारतीय विद्या भवन से ही। यह एक स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स था।
इसके बाद उन्होंने एफएम रेडियो स्टेशनों में रेडियो जॉकी के रूप में काम किया। 1996 से उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने कई शो की मेजबानी की। साल 1997 से 2005 तक मनीष सिसोदिया ने बतौर न्यूज़ प्रोड्यूसर और न्यूज़ रीडर ‘ज़ी न्यूज़’ के लिए काम किया।

पत्रकारिता छोड़ सामाजिक कार्यकर्ता बने
अरविंद केजरीवाल ने 1998 में एक गैर सरकारी संगठन ‘परिवर्तन’ बनाया था। ‘परिवर्तन’ का दावा था कि वह हाशिए के वर्गों के बीच काम करता है। पत्रकार रहते हुए मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल के एनजीओ पर एक स्टोरी की। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिसोदिया को केजरीवाल का काम इतना पसंद आया कि उन्होंने उससे जुड़ने के लिए साल 2005 में पत्रकारिता छोड़ दी।
फिर दोनों ने एक अन्य संगठन ‘कबीर’ की भी स्थापना की। मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल 2005-06 से ही एक साथ काम कर रहे हैं। दोनों दिल्ली के भीतर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए काम करते थे।
सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने जब सूचना के अधिकार का मसौदा तैयार करने के लिए नौ लोगों की कमेटी बनाई थी, तो उसमें मनीष सिसोदिया भी शामिल थे। वहीं अरविंद केजरीवाल ने RTI के लिए एक कार्यकर्ता के तौर पर काम किया था।

एक आंदोलन और राजनीति में एंट्री
साल 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन की शुरुआत हुई। इसमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और उनके कुछ अन्य साथी प्रमुख रूप से शामिल थे। 26 नवंबर, 2012 को अन्ना हजारे के इच्छा के विरुद्ध आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन हुआ। मनीष सिसोदिया पार्टी के संस्थापक सदस्य थे।
2013 में पार्टी पहली बार दिल्ली की सत्ता में आयी। हालांकि यह सत्ता अल्पकालिक थी, सिर्फ 49 दिन की। 2015 में पार्टी भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापस लौटी। आप को दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत मिली। हालांकि इस जीत के मात्र दो महीनों के भीतर पार्टी ने अपने सह-संस्थापक योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और अन्य को निष्कासित कर दिया।
कई लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि विरोध से पैदा हुई आप एक राजनीतिक संगठन के रूप में लंबे समय तक नहीं चलेगी, लेकिन वे गलत साबित हुए जब पार्टी ने न केवल दिल्ली में सत्ता कायम रखी बल्कि अपनी सीमाओं का विस्तार करते हुए पंजाब में भी सरकार बना ली। सिसोदिया केजरीवाल और उनकी नीतियों के साथ हमेशा खड़े दिखे हैं, कभी भी उनके खिलाफ बयान नहीं दिया।
अब जेल में हैं सिसोदिया
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 26 फरवरी को आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में हैं। मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति माने जाते हैं।
सिसोदिया अब तक तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बनी 2015 और 2020 की सरकार में उन्होंने उप-मुख्यमंत्री का पद संभाला। वह आप के पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) के सदस्य भी हैं। यही समिति पार्टी में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
मनीष सिसोदिया को पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल का भी सबसे भरोसेमंद व्यक्ति माना जाता है। गिरफ्तारी के बाद से पार्टी सिसोदिया के साथ मजबूती से खड़ी है। पार्टी सिसोदिया के मुद्दे को सड़क, टेलीविजन स्टूडियो और सुप्रीम कोर्ट, हर जगह प्रमुखता से उठा रही है। उनकी रिहाई की मांग कर रही है। आप का दावा है कि मनीष सिसोदिया पर चलाए जा रहा केस राजनीति से प्रेरित है।