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साल में एक दिन नंगे घूमते थे पटियाला के महाराजा, जानिए क्या थी इस अटपटी प्रथा की वजह

पटियाला के महाराजा जब नग्न अवस्था में अपनी प्रजा के बीच जाते थे, तो ताली बजाकर उनका स्वागत किया जाता था।

Bhupendra Singh | Patiala King
पटियाला के सातवें महाराजा भूपेंद्र सिंह

पटिलाया के महाराजा साल में एक बार बिलकुल नंगे होकर अपनी प्रजा के सामने आते थे। यह प्रथा पटियाला के सातवें महाराजा सर भूपेंद्रसिंह (1891-1938) तक चली। सवाल उठता है वह ऐसा क्यों करते थे? इस सवाल का जवाब खोजने से पहले यह समझ लेते हैं कि उनके ऐसा करने पर जनता की प्रतिक्रिया क्या होती थी?

सीने पर एक कवच और कुछ नहीं…

पटिलाया के सिख महाराजा के पास हीरे जवाहरात का बड़ा भंडार था। उनके पास एक से बढ़कर एक अनमोल रत्न थे। कई तरह के आभूषण थे। उनमें से एक था 1001 हीरों से जड़ा हुआ कवच, जिसे पटियाला के महाराजा सीने पर पहना करते थे। वह साल में एक बार सिर्फ इस कवच को पहनकर नंगे ही अपनी प्रजा के बीच जाते थे। इस दौरान उनका लिंग पूरी तरह उत्तेजित रहता था।

डोमीनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स की चर्चित किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लिखा है कि अपने महाराजा की ऐसी हरकत को प्रजा शिवलिंग की लौकिक अभिव्यक्ति मानती थी। जब महाराजा अपनी प्रजा के बीच से निकलते थे, तो सब खुशी से तालियां बजाते थे।

क्यों करते थे ऐसा?

पटियाला की प्रजा का ऐसा मानना था कि उनके राजा के लिंग से ऐसी शक्ति निकलती है, जो उनके राज्य की सीमाओं से सभी भूत-प्रेतों को भगा देती है। जाहिर है यह नैरेटिव महाराजा की मर्जी के बिना इतनी व्यापक तौर पर प्रसारित नहीं हो सकती थी। यह प्रथा पटियाला के सातवें महाराजा भूपेंद्रसिंह तक चली, जिनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह पूरे वक्त वासना में ही डूबे रहते थे।

महाराजा भूपेंद्रसिंह के जीवन पर एक नजर

महाराजा सर भूपेंद्रसिंह का जन्म पटियाला के मोती बाग महल में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई लाहौर के एचिसन कॉलेज से हुई थी। वहीं उन्होंने क्रिकेट और पोलो के लिए एक जुनून विकसित किया। एक दुर्घटना में पिता राजिंदर सिंह की मौत के बाद मात्र नौ साल की उम्र में भूपेंद्रसिंह सिंहासन पर बैठे थे। हालांकि उनके हाथ में पूरी तरह शासन 18 वर्ष का होने पर ही आया।

भूपेंद्रसिंह अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे। इंग्लैंड के प्रति उनकी वफादारी 1911 में अधिक प्रदर्शित हुई जब वह किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के राज्याभिषेक में एक मोर की तरह सज-धज कर पहुंचे।

हरम में थी 350 महिलाएं

पटिलाया के महाराजा भूपेंद्र सिंह के हरम में एक वक्त पर करीब 350 महिलाएं थीं। वह अपने लिए सुंदर और विभिन्न कलाओं में निपुण महिलाओं का चुनाव खुद करते थे। उन्होंने अपने हरम की महिलाओं के लिए एक प्रयोगशाला भी बना रखी थी, जहां मेकअप आर्टिस्ट से लेकर प्लास्टिक सर्जन तक रखे गए थे। (हरम की पूरी कहानी पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)

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First published on: 20-03-2023 at 18:58 IST