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क्या मोबाइल के रेडिएशन से कैंसर-ट्यूमर का खतरा है? जानिये ICMR से लेकर अमेरिका के FDA की क्या है राय

ICMR के मुताबिक ऐसा कोई डाटा नहीं है, जिससे साबित हो कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर या ट्यूमर जैसी बीमारी हो सकती है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। Illustration: Subrata Dhar)

मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) में शुक्रवार को मोबाइल फोन टॉवर्स को हटाने से जुड़ी एक याचिका पहुंची। याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि मोबाइल फोन टावर के रेडिएशन की वजह से लोगों की उम्र कम हो रही। वकील के इस दावे पर जस्टिस डी. राजा. ने सवाल किया इस वक्त आपके पास कितने फोन हैं? एक ऊपर की जेब में, एक नीचे की जेब में… इस तरह तो आपके पूरे शरीर में ही रेडिएशन है।

जस्टिस डी. राजा ने कहा दुनिया के हर कोने में, हर देश, हर महाद्वीप में लोग मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं और हर जगह सेल फोन टावर भी हैं। चाहे अफ्रीका हो, नार्थ अमेरिका हो, साउथ अमेरिका हो या एशिया या कोई और देश…। इस टिप्पणी के बाद जस्टिस राजा ने बेंच के दूसरे जज भरत चक्रवर्ती से फुसफुसाते हुए पूछा कि ये दूसरा कौन है?

क्या मोबाइल फोन रेडिएशन से वाकई खतरा?

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर का मानना है कि मोबाइल फोन के रेडिएशन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव तो पड़ सकता है, लेकिन इसके कोई कोई ठोस सबूत नहीं हैं। आईसीएमआर के मुताबिक इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं है कि मोबाइल फोन के रेडिएशन का मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य पर कोई असर पड़ता है। ऐसा कोई डाटा नहीं है, जिससे यह साबित हो कि मोबाइल फोन की वजह से कैंसर, ट्यूमर, मेंटल हेल्थ, डिमेंशिया या सिर दर्द जैसा कुछ है।

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मोबाइल फोन रेडिएशन से जुड़ी ICMR की रिपोर्ट।

क्या कहना है FDA का?

अमेरिका का फूड एंड ड्रग्स विभाग (FDA) भी लंबे वक्त से मोबाइल फोन रेडिएशन पर काम कर रहा है। FDA की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक सेल फोन की रेडियो फ्रीक्वेंसी या रेडिएशन से कैंसर या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर लंबे वक्त से बहस चल रही है, लेकिन वर्तमान में जो साइंटिफिक डाटा है उसके मुताबिक मोबाइल फोन से निकलने वाली Radio Frequency से किसी भी तरह की कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है।

एफडीए के मुताबिक मोबाइल से जो रेडिएशन निकलता है उसे नॉन आयोनाइजिंग रेडिएशन (Non-ionizing Radiation) कहते हैं। यह बहुत लो लेवल का होता है, ऐसे में स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता है।

मोबाइल से कितनी फ्रीक्वेंसी निकलती है?  

उधर, अमेरिकी कैंसर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2G, 3G और 4G सेल फोन से 0.7 से 2.7 गीगाहर्टज के बीच फ्रीक्वेंसी निकलती है, जबकि 5G फोन की 80 गीगाहर्ट तक की फ्रीक्वेंसी हो सकती है। यह बहुत लो फ्रीक्वेंसी या लो एनर्जी है। इतनी लो फ्रीक्वेंसी से आपके डीएनए को कोई नुकसान नहीं हो सकता है। 

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First published on: 31-03-2023 at 13:07 IST
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