सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (24 मार्च) को एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह एक वकील पर बुरी तरह बिफर पड़े और कहा कि ऐसी हरकतों की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट का स्तर गिर रहा है। दरअसल, जस्टिस शाह एक मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुनाने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच वकील ने कहा कि वह अपनी अपील वापस लेना चाहता है। इसी बात पर जस्टिस शाह का पारा चढ़ गया।
क्या है पूरा मामला?
Bar & Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस एमआर शाह (Justice MR Shah) एक मामले में अपना फैसला सुनाने जा रहे थे। अचानक वकील ने उन्हें बीच में रोक दिया और कहा कि वह अपनी अपील विथड्रॉ करना चाहता है। इस पर जस्टिस शाह बिफर पड़े। उन्होंने कहा क्या? आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। पहले आपने हमें भरोसा दिलाया कि आप भुगतान को तैयार हो गए हैं और अब अचानक ऐसी मांग? वकील ने आगे कहा मैं अपनी अपील विथड्रॉ कर लूंगा।
चीखते हुए बोले जस्टिस शाह- कार्यवाही को मजाक बना दिया है…
जस्टिस शाह ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये आश्चर्यजनक है। आपने कोर्ट की कार्यवाही को मजाक बना दिया है। इससे पता लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का स्तर किस तरह गिर रहा है। मैं विश्वास ही नहीं कर सकता। जस्टिस शाह ने वकील पर चीखते हुए कहा कि आप फैसला सुनाते वक्त इस तरीके की मांग नहीं कर सकते हैं… बिल्कुल नहीं कर सकते हैं।
क्या है केस विथड्रॉ करने का नियम?
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आदर्श तिवारी Jansatta.com से बताते हैं कि कोई याचिकाकर्ता अपने केस को सामान्यत: किसी भी मोड़ पर विथड्रॉ कर सकता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में नियम बदल जाते हैं। कुछ परिस्थिथियों में कोर्ट इसकी इजाजत नहीं देता है।
क्या हैं चार परिस्थितियां?
1. जैसे अगर मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है, तो संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उच्चतम न्यायालय को संपूर्ण न्याय की शक्ति है। इस स्थित में अगर सुप्रीम कोर्ट में कोई ऐसा मामला आता है, जो जनहित से जुड़ा है तो उसको सुप्रीम कोर्ट विथड्रॉ करने से मना कर सकता है और उसे पीआईएल में भी कन्वर्ट कर सकता है।
2. एक और स्थिति है। यदि कोई ऐसा मामला है, जो व्यापक तौर पर जनहित का नहीं भी है, लेकिन कोर्ट को लगता है कि वह महत्वपूर्ण कानून का प्रश्न है, ऐसे में भी विथड्रॉ से रोक सकता है और अमाइकस क्यूरी भी अप्वाइंट कर सकता है।
3. एडवोकेट आदर्श तिवारी बताते हैं कि बताते हैं कि एक तीसरी परिस्थिति भी होती है। कई मामलों में कोर्ट आपको विथड्रॉ करने की इजाजत नहीं देता है, बल्कि याचिका को खारिज कर सकता है।
4. चौथी परिस्थिति भी है। यदि किसी मामले में प्रतिवादी कोर्ट में अपीयर हुआ और अपने केस को कुछ वक्त के लिए लड़ा है, ऐसी परिस्थिति में कोर्ट विथड्रॉ करने की अनुमति देता है, लेकिन हर्जाना भी लगा सकता है, जो प्रतिवादी को देना होता है। या कोर्ट को लगता है कि न्यायालय का समय बर्बाद हुआ है तो जुर्माना भी लगा सकता है।