पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) अपनी सादगी के लिए चर्चित थे। पूर्व पीएम पद और ओहदे का बेजा इस्तेमाल करने के सख्त खिलाफ थे। कई मौकों पर खुद उदाहरण भी पेश किया। लाल बहादुर शास्त्री जिस वक्त देश के गृह मंत्री थे, एक कार्यक्रम में शामिल होने कोलकाता पहुंचे थे। वापसी में शाम की फ्लाइट थी। उन दिनों कोलकाता में ट्रैफिक की विकराल समस्या थी। लाल बहादुर शास्त्री थोड़ा लेट हो गए और एयरपोर्ट पहुंचना असंभव लग रहा था।
क्यों नहीं ली थी सायरन वाली गाड़ी?
रिसर्चर अदरीजा रॉयचौधरी (Adrija Roychowdhury) इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख में लिखती हैं कि कोलकाता के पुलिस कमिश्नर ने लाल बहादुर शास्त्री की समस्या भांफ ली। उन्होंने कहा कि वह लाल बहादुर शास्त्री की कार के आगे पुलिस की सायरन लगी कार लगवा देते हैं। इससे ट्रैफिक में फंसने का झंझट नहीं होगा। शास्त्री, को यह सुझाव पसंद नहीं आया और उन्होंने फौरन इंकार कर दिया। लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि इससे कोलकाता के लोगों को लगेगा कि उनके यहां कोई वीआईपी आ गया है और उनका रूटीन डिस्टर्ब हो जाएगा।
खुद को कहते थे ‘थर्ड क्लास’ व्यक्ति
अदरीजा रॉयचौधरी ने एक किस्से का जिक्र किया है। यह किस्सा तबका है, जब लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) देश के प्रधानमंत्री थे। उन्हें एक सूबे के कार्यक्रम में जाना था, लेकिन ऐन मौके पर दूसरे कार्यक्रम की वजह से दौरा कैंसिल करना पड़ा।
उस राज्य के मुख्यमंत्री ने लाल बहादुर शास्त्री को फोन किया और अनुरोध किया कि वह अपना कार्यक्रम रद्द ना करें क्योंकि उनके लिए फर्स्ट क्लास अरेंजमेंट करा दिया है। प्रधानमंत्री शास्त्री ने जवाब दिया, ‘आप एक थर्ड क्लास व्यक्ति के लिए फर्स्ट क्लास की व्यवस्था क्यों कराते हैं?’
निधन के बाद पत्नी ने चुकाया था लोन
साल 1966 में जब लाल बहादुर शास्त्री की मौत हुई तो उनके नाम पर ना तो कोई घर था ना कोई जमीन और न कोई दूसरी संपत्ति। अपने पीछे सिर्फ एक सरकारी लोन छोड़ गए थे जो उन्होंने फिएट कार के लिए ली थी। लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद उनकी पत्नी ललिता शास्त्री (Lalita Shastri) ने बैंक का लोन अपनी पेंशन से चुकाया था।