दुनिया भर के राजाओं-महाराजाओं की तरह ही भारतीय शासकों के भी अजीबोग़रीब शौक थे। कोई हीरे जवाहरात का दीवाना था। किसी को वासना में डूबे रहने की लत थी। भारतीय उपमहाद्वीप में कई ऐसे राजा हुए, जो अपनी पसंद के काम को अति की हद तक जाकर करते रहे। बनारस में ऐसे ही एक महाराजा हुए, जो गाय के दर्शन के लिए कुछ भी कर गुजरते थे।
आंख खुलते ही देखते थे गाय
बनारस के महाराजा का आदेश था कि उनकी आंखें खुले से गाय का दर्शन जरूर हो। रोज सुबह एक गाय महाराजा के बेडरूम की खिड़की के पास ले जायी जाती थी। राजा के चाकर गाय की पसलियों को लकड़ी कोंचकर उसे रंभाने के लिए मजबूर करते थे। गाय की आवाज सुनकर ही महाराजा की नींद खुलती थी और वह गाय का दर्शन करते थे।
जब क्रेन से टंगवाई गई गाय
डोमीनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स की चर्चित किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में एक घटना का जिक्र मिलता है जब बनारस के महाराजा के लिए गाय को क्रेन से टंगवा दिया गया था। दरअसल एक बार बनारस के महाराजा रामपुर के नवाब के यहां मेहमान बनकर गए हुए थे। अब महाराजा को तो आदत थी कि वह सुबह सबसे पहले गाय को ही देखें। लेकिन वहां इस दिनचर्या का पालन करना कठिन था क्योंकि महाराजा के ठहरने की व्यवस्था महल की दूसरी मंजिल पर की गई थी।
नवाब रामपुर के सामने संकट था कि वह अपने मेहमान की परंपरा को कैसे बनाए रखें। फिर उन्होंने एक अनोखी तरकीब निकाली। उन्होंने एक क्रेन मंगवाया, जिसकी मदद से एक गाय को रस्सियों से लटाकर महाराजा के बेडरूम की खिड़की तक पहुंचाई गई। आमतौर पर गाय को ऐसे क्रेन पर लटकने की आदत तो होती नहीं, ऐसे में क्रेन से लटक कर खिड़की तक की यात्रा के दौरान गाय तड़पकर जोर से रंभाती थी।
गाय की आवाज इतनी तेज होती थी कि सिर्फ महाराजा ही नहीं महल के दूसरे लोग भी जग जाया करते थे। गाय को तब तक इस तरह लगातार हर रोज लटकाया गया, जब तक की वह बतौर मेहमान नवाब रामपुर के यहां ठहरे रहें।