मध्य एशिया (Central Asia) के एक राज्य तुरान (Turan) पर अकबर (Akbar) की लंबे समय से नज़र थी। साल 1598 में तुरान को जीतने का मौका था। अकबर ने अपने बेटे सलीम (Salim) उर्फ जहांगीर (Jahangir) को इस काम के लिए भेजने की ठानी। तब जहांगीर की उम्र 30 वर्ष हो गयी थी, लेकिन उन्होंने जिंदगी में कुछ खास हासिल नहीं किया था। अकबर के आदेश के बावजूद जहांगीर तुरान नहीं गए।
पार्वती शर्मा (Parvati Sharma) अपनी किताब ‘जहांगीर-एन इंटिमेट पोर्ट्रेट ऑफ ग्रेट मुगल’ (Jahangir: An Intimate Portrait of a Great Mughal) में बताती हैं कि ये वही वक्त था जब जहांगीर को यह एहसास होने लगा कि उनकी मौज-मस्ती उनको बर्बाद कर रही है और ऐसा ही चलता रहा तो उन्हें बुढ़ापा नसीब नहीं होगा।
हालांकि यह लगभग अविश्वसनीय है कि जहांगीर उस वक्त संभल गए जब वह अपने एडिक्शन के चरम पर थे। तब वह खतरे को भांप गए और उससे बाहर निकलने की कोशिश की। अपनी सबसे दयनीय अवस्था में जहांगीर ने एक डॉक्टर को बुलाया था। यह वही हकीम थे, जिस पर अकबर ने जहर देने की साजिश का आरोप लगाया था।
हकीम ने जहांगीर को बताया था कि आप जिस तरह पी रहे हैं, अगले छह महीने में चीजें इतनी खराब हो जाएंगी कि यह उपाय से परे हो जाएगा।
कैसे कम किया पीना?
हकीम की सलाह को जहांगीर ने अपने भाइयों की तरह नजरअंदाज नहीं किया। जहांगीर के भाइयों की शराब पीने की वजह से ही मौत हो गयी थी। लेकिन जहांगीर ने हकीम के शब्दों को गंभीरता से लिया। जहांगीर पहले 20 प्याला रोज शराब पिया करते थे, 14 प्याला दिन में और 6 प्याला रात में। लेकिन फिर उन्होंने धीरे-धीरे इसे कम किया।
वह अल्कोहल की जगह फिलोनियम लेने लगे। फिलोनियम में अफीम, केसर, जटामांसी, शहद आदि मिला होता था। यह एक तरह का पेय था। इसके अलावा वह अंगूर से बना एक पेय भी पीने लगे, जिसमें अंगूर के रस और शराब की मात्रा आधी-आधी हुआ करती थी। इस दौरान उन्होंने तय किया कि वह सिर्फ शाम में पियेंगे। बाद में उन्होंने शुक्रवार की पूर्व संध्या को भी पीना छोड़ दिया, क्योंकि इस्लाम में शुक्रवार (जुमा) को पवित्र दिन माना जाता है।
इस तरह सात वर्षों में जहांगीर रोज प्याला शराब से छह कप फोर्टिफाइड वाइन पर आ गए। उनके छह कप फोर्टिफाइड वाइन में ग्राम अफीम मिला होता था।
अफीम के सेवन से हुआ अस्थमा
धीरे-धीरे ही सही जहांगीर ने शराब पीना तो कम कर दिया लेकिन अफीम का सेवन करते रहे। इसकी वजह से उन्हें अस्थमा की बीमारी हो गयी। साल 1622 आते-आते वह अस्थमा के कारण लगातार बीमार रहने रहे। अंत में अस्थमा के कारण ही 28 अक्टूबर 1627 को 58 साल की उम्र में जहांगीर की मौत हो गयी।