गुजरात (Gujarat Court) की एक अदालत ने मवेशियों की तस्करी (Cattle Smuggling) के मामले में एक युवक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। गुजरात के तापी जिले की अदालत ने 22 वर्षीय युवक को महाराष्ट्र (Maharashtra) से अवैध रूप से मवेशी लाने का दोषी पाया है।
सजा सुनाते हुए मुख्य जिला न्यायाधीश समीर विनोदचंद्र व्यास (Principal District Judge Samir Vinodchandra Vyas) ने कहा, “गाय केवल एक पशु नहीं है, मां है। गाय 68 करोड़ पवित्र स्थानों और 33 करोड़ देवताओं का जीवित ग्रह है। जिस दिन गाय के खून का एक भी बूंद पृथ्वी पर नहीं गिरेगा, उसी दिन से पृथ्वी की सभी समस्याओं का हल हो जाएंगा। पृथ्वी का कल्याण हो जाएगा।”
दरअसल मोहम्मद अमीन को 27 अगस्त, 2020 को अवैध रूप से 16 से अधिक गायों और उसने बछड़ों के साथ गिरफ्तार किया गया था। सभी मवेशियों को एक ट्रक पर लादा गया था, जिसमें उनके लिए बैठने,खाने और पीने की उचित व्यवस्था नहीं थी। उसके बाद से ही अमीन पर आपराधिक मामला चलाया जा रहा था। न्यायाधीश ने उन्हें आजीवन कारावास और ₹5 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई है।
जज ने बतायी गाय की उपयोगिता
अपने आदेश में न्यायाधीश ने न केवल एक गाय के धार्मिक पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता बताई, बल्कि उसके आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और स्वास्थ्य लाभों पर भी विचार करने की आवश्यकता बताई। जज ने कहा कि गायों की हत्या के लिए अब मशीनी बूचड़खाने आ गए हैं। उनका वध किया जा रहा है इसलिए उनके जीवन को बड़ा खतरा है।
आदेश में कहा गया है , “मांसाहारी लोग मांस का सेवन करते हैं और इसके लिए गाय के मांस का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। गाय के उत्पाद मानव जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं। इन उत्पादों का मतलब दूध, दही, घी, गोबर और गौमूत्र है।”
‘गोवध से जयवायु परिवर्तन की समस्याएं’
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में पारित आदेश में जज ने कहा है, त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) गायों से अलग नहीं हैं। धर्म भी गाय से पैदा हुआ है… एक समय आएगा जब लोग गायों की तस्वीरें बनाना भूल जाएंगे। आजादी के 70 साल से अधिक का समय बीत चुका है। आज तक गौहत्या बंद नहीं हुई है उल्टा यह अपने चरम पर पहुंच रही है। आज जो समस्याएं हैं, वे इसलिए हैं कि चिड़चिड़ापन और गर्म स्वभाव बढ़ रहा है। इस बढ़ोतरी का एकमात्र कारण गायों का वध है। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ता तापमान मवेशियों पर किए गए अत्याचार के कारण हुआ है।
गोबर से बने घरों पर नहीं होता एटॉमिक रेडिएशन
अपने फैसले में न्यायाधीश ने दावा किया है कि गाय के गोबर से बने घरों पर एटॉमिक रेडिएशन का असर नहीं होता है। उन्होंने कहा है, “गायों का वध और परिवहन के दौरान उन्हें होने वाली पीड़ा दुःख का विषय है। विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि गाय के गोबर से बने घर परमाणु विकिरण से प्रभावित नहीं होते हैं। गौमूत्र का उपयोग कई असाध्य रोगों का इलाज है। गाय धर्म का प्रतीक है।”