सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मदन लोकुर ने कहा है कि जजों को रिटायर होने के बाद सरकार से वैसे पद नहीं लेने चाहिए, जिनका वास्ता न्यायिक प्रक्रिया से नहीं हो। जनसत्ता.कॉम से इंटरव्यू के दौरान इस बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- पोस्ट रिटायरमेंट जॉब के बारे में दो चीजें हैं। एक तो यह कि अगर कोई जज रिटायर हो जाए और उसे कोई नॉन जुडिशल जॉब मिले तो नहीं लेना चाहिए। जैसे- अगर किसी को कह दिया गया कि आप गवर्नर बन जाइए या मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन जाइए, तो इस टाइप के जॉब लेने नहीं चाहिए। अगर लेना भी है तो एक कूलिंग पीरियड के बाद लेना चाहिए।
दूसरी बात यह कि अगर रिटायरमेंट के बाद कोई ऐसा काम मिल जाए, जिसका जुडिशरी से कोई संबंध हो, जैसे- ट्रिब्यूनल्स हैं। वहां मामलों का निपटारा करना होता है। इस तरह का जॉब लेने में कोई हर्ज नहीं है। पर उसमें भी कूलिंग पीरियड होना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए आप आज रिटायर हों और कल सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में कोई पद मिल जाए। एक कूलिंग पीरियड जरूरी है।
‘मुझे कोई ऑफर नहीं मिला’
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कोई पोस्ट रिटायरमेंट जॉब ऑफर हुआ था? इस सवाल के जवाब में जस्टिस लोकुर (Justice Lokur) ने कहा, मुझे कोई ऑफर नहीं मिला। अभी एक-डेढ़ साल पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने पेगासस के बारे में इंक्वायरी करने के लिए कहा था। वह मैंने एक्सेप्ट किया था। उसका भारत सरकार से कोई ताल्लुक नहीं है। हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया है, तो उसमें कुछ काम नहीं हो रहा है। बता दें कि जस्टिस लोकुर 30 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे।
हाल ही में जस्टिस अब्दुल एस नजीर को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के 39वें दिन ही आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा की गई थी। इसके बाद एक बार फिर जजों के ‘पोस्ट रिटायरमेंट जॉब’ पर बहस छिड़ गई थी। (इस मामले को विस्तार से जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें)
मदन बी लोकुर से इंटरव्यू का पूरा वीडियो देखें (Watch Full video of Madan Lokur Interview with Jansatta.com)
मेरे फोन में पेगासस था- राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हाल में पेगासस को लेकर ब्रिटेन में दावा किया है। उन्होंने कैम्ब्रिज में अपने संबोधन के दौरान कहा था, “भारत में लोकतंत्र खतरे में है। मेरे फोन में भी पेगासस था। मुझे अधिकारियों ने सलाह दी थी कि मैं फोन पर सावधानी से बात करूं। क्योंकि फोन की रिकॉर्डिंग की जा रही है।” राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि यह जासूसी सॉफ्टवेयर बड़ी संख्या में नेताओं के फोन में था।
क्या है पेगासस मामला?
पेगासस को एक इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group बनाती है। भारत में पेगासस का मामला साल 2019 में सामने आया था। तब एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कम से कम 1400 लोगों के मोबाइल या सिस्टम की जासूसी की गई थी। इन 1400 लोगों में की कई मशहूर पत्रकारों, विपक्षी दल के नेताओं, मंत्रियों, सुरक्षा एसेजियों के बड़े अफसरों आदि का नाम था। काफी विवाद के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
दूसरी तरफ मामले की जांच के लिए पश्चिम बंगाल की सरकार ने एक आयोग का गठन किया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ज्योतिर्मय भट्टाचार्य को आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि दसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस जांच आयोग की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।