भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहली मुलाकात का किस्सा सुनाया है। इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में विदेश मंत्री से जब चीन को लेकर दिए राहुल गांधी के हालिया बयानों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने साल 2011 की घटना का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “मुझे 2011 का एक बहुत ही अलग अनुभव याद आ रहा है। यह पहली बार था जब मैं नरेंद्र मोदी से मिला था, उस समय वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। विपक्ष में थे। उन पर लगातार राजनीतिक हमले हो रहे थे। वह चीन आए थे। मैं चीन में भारत का एंबेसडर था।
मोदी ने चीन और भारत के बीच चल रही की समस्याओं की जानकारी मांगी थी। तब वीजा और Northern Command issue जैसी कई समस्याएं थीं। मैंने उन्हें बताया। मैंने उनसे कहा भी कि आप पहले CM हैं, जिन्होंने नेशनल सिक्योरिटी पर ब्रीफिंग मांगी है। मैं इसकी वजह जानना चाहता हूं।”
मोदी ने क्या दिया जवाब?
एस. जयशंकर के सवाल के जवाब पर नरेंद्र मोदी ने कहा, “देखिए, मैं विपक्ष का मुख्यमंत्री हूं। मैं चीन आया हूं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहता जो हमारे नेशनल पोज़ीशन से अलग हो और मुझे बहुत सावधान रहना होगा। इसलिए, मुझे आपसे सब कुछ समझना होगा और मीटिंग में अगर मैं जरा भी भटकूं तो मुझे इशारा कर दीजिएगा।”
राहुल गांधी की टिप्पणी पर विदेश मंत्री का पलटवार?
चीन को लेकर दिए राहुल गांधी के बयान पर पलटवार करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, “इसमें बहुत राजनीति है। मैं भारत के नागरिक के तौर पर परेशान हूं.. राहुल गांधी ने मैन्यूफैक्चरिंग पर चीन की तारीफ की। हां, चीन ने बहुत अच्छा काम किया है। लेकिन जब भारत में मैन्यूफैक्चरिंग की बात आई, तो उसे हर ओर से कम बता दिया।”
राहुल ने चीन को लेकर क्या कहा था?
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था, “आप चीन में जिस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर देखते हो, रेलवे, एयरपोर्ट देखते हो, ये सबकुछ प्रकृति से जुड़ा हुआ है, नदी की ताकत है। चीन प्रकृति के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है। वहीं बात जब अमेरिका की आती है, वो खुद को प्रकृति से बड़ा मानता है। यही बताने के लिए काफी है कि चीन शांति में कितना ज्यादा दिलचस्पी रखता है।”
चीन सरकार की तारीफ करते हुए राहुल ने कहा था, “वहां पर सरकार एक कॉरपोरेशन की तरह काम करती है। उस वजह से हर जानकारी पर सरकार की पूरी पकड़ रहती है। यही वजह है कि चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मामले में इतना आगे बढ़ गया है।”
चीन समेत 8 देशों में काम कर चुके हैं एस. जयशंकर
एस. जयशंकर ने 1977 में इंडियन फॉरेन सर्विस ज्वाइन किया था। वह चीन, अमेरिका, रूस, हंगरी, श्रीलंका, जापान, चेक रिपब्लिक, सिंगापुर में काम किया है। एस. जयशंकर हिंदी के अलावा अंग्रेजी, तमिल, रूसी, जापानी और हंगेरियन भाषा भी बोल, समझ और लिख सकते हैं। एस. जयशंकर के पिता ‘के सुब्रह्मण्यम’ भी ब्यूरोक्रेट थे।
इंदिरा गांधी और एस. जयशंकर के पिता
एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश को दिए एक इंटरव्यू में एस. जयशंकर ने बताया था कि उनके पिता के सुब्रह्मण्यम को 1980 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रक्षा उत्पादन सचिव पद से हटा दिया था। इसके अलावा जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब मेरे पिता की अनदेखी की गई थी। किसी जूनियर को कैबिनेट सेक्रेटरी बना दिया गया था।
अटल सरकार में पुरस्कार लेने से किया था इनकार
सिविल सेवा परीक्षा में फर्स्ट रैंक पाने वाले के सुब्रमण्यम ने साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था। वाजपेयी सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित करने का ऐलान किया था। के सुब्रमण्यम ने यह कहते हुए पद्म सम्मान को अस्वीकार कर दिया था कि नौकरशाहों और जर्नलिस्ट को सरकारी अवॉर्ड्स नहीं लेने चाहिए।