भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने अंग्रेजी भाषा के अखबारों (English Language Newspapers) पर आरोप लगाया है कि वह सभी प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister’s Office) के फोन कॉल से डरते हैं। उन्होंने अपने हालिया ट्वीट में लिखा है,”अंग्रेजी भाषा के अखबार पीएमओ के कॉल से कांपते हैं। इस तरह ये अखबार मोदी की नीतियों के विरोधियों की न्यूज लायक कॉन्टेंट को कवर नहीं करते हैं।”
भारतीय भाषा के अखबारों की तारीफ करते हुए स्वामी लिखते हैं, ”भारतीय भाषा के पेपर मुझे अच्छी कवरेज देते हैं। अब तक मैंने परेशान नहीं किया लेकिन अब अंग्रेजी के लिए विदेशी मीडिया को भी बाइट देना शुरू करूंगा।”
मीडिया के बहाने पीएओ को भी बनाया निशाना?
स्वामी के ट्वीट में अखबारों के डरने का जिक्र है। उनका दावा है कि अंग्रेजी के अखबार प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय के फोन कॉल से डरते हैं। जाहिर है मीडिया पर इस तरह के अंकुश को सरकार सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करेगी। लेकिन स्वामी बातों-बातों में बता जा रहे हैं कि अंग्रेजी मीडिया पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर रहती है।
प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की स्थिति खराब
नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की स्थिति लगातार खराब हुई है। 3 मई, 2022 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (WPFD) के अवसर पर जारी ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी किया था। प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में शामिल 180 देशों की लिस्ट में भारत 150वें स्थान पर था। यह इंडेक्स पत्रकारों की स्वतंत्रता के स्तर को रेखांकित करता है। सूचकांक में भारत की स्थिति पड़ोसी नेपाल, भूटान और श्रीलंका से खराब बताई गई थी। पिछले साल के प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 142वें स्थान पर था।
रैंकिंग में गिरावट की वजह
रिपोर्ट में भारत की खराब स्थिति के लिए “पत्रकारों के खिलाफ हिंसा” को कारण बताया था। साथ ही “राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया” की वृद्धि को भी एक कारण माना गया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि भारतीय मीडिया को सत्ता के दबाव में काम करने को मजबूर किया जा रहा है। इसके अलावा भारत को मीडियाकर्मियों के लिए भी दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक बताया गया था।