केरल के सीवी आनंद बोस नवंबर 2022 से पश्चिम बंगाल के गवर्नर हैं। उनका पश्चिम बंगाल से पुराना नाता है। उनके नाम में ‘बोस’ जुड़ जाने के पीछे भी यह कनेक्शन ही है। आठ साल की उम्र में ही वह बंगाल से साहित्य के जरिए जुड़े थे और ‘मिनी’ नाम के एक पात्र को अपना दिल दे बैठे थे। उनका कहना है कि बंगाल से जुड़ाव केरल की संस्कृति का हिस्सा रहा है। हाल में बोस इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम ‘आइडिया एक्सचेंज’ में शरीक हुए और इस बारे में काफी कुछ बताया।
केरल के आनंद ‘बोस’ कैसे?
सीवी आनंद बोस मूलरूप से केरल के रहने वाले हैं। 2 जनवरी, 1951 को उनका जन्म केरल के कोट्टायम में हुआ था। वह IAS अधिकारी रहे हैं। सेवानिवृत होने के बाद साल 2019 में भाजपा से जुड़े। केरल निवासी सीवी आनंद बोस का सरनेम कई लोगों को चकित करता है। आखिर केरल के किसी व्यक्ति के नाम में बोस कैसे लग सकता है? जाहिर है ऐसा पूर्वाग्रह है कि कुछ सरनेम कुछ विशेष भौगोलिक क्षेत्र में ही पाए जाते हैं। वैसे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के नाम के पीछे लगे बोस का किस्सा दिलचस्प है।
दरअसल आनंद बोस के पिता पीके वासुदेवन नायर एक स्वतंत्रता सेनानी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचारों के अनुयायी थे। सुभाष चंद्र बोस से ही प्रेरित होकर नायर ने अपने बेटे के नाम में ‘बोस’ जोड़ा था।
केरल और बंगाल का पुराना कनेक्शन
राज्यपाल बनने के बाद आनंद बोस ने पश्चिम बंगाल और केरल सहित अन्य राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का कम भी शुरू किया है। बंगाल से अपने कनेक्शन का जिक्र करते हुए आनंद बोस बताते हैं, “जब सांस्कृतिक सहयोग प्रभावी ढंग से होता है, तो वह एक साझा विरासत होती है… जब राजनीति संस्कृति पर आक्रमण करती है, तो अराजकता होती है। जब संस्कृति राजनीति में प्रवेश करती है, तो शोधन होता है।”
वह आगे बताते हैं, “केरल में मेरी पीढ़ी के लोगों ने बंगाली उपन्यास पढ़े हैं। लगभग हर हफ्ते प्रमुख पत्रकार ताराशंकर बनर्जी और बंगाल के अन्य महान लेखकों के अनुवाद प्रकाशित करते थे। गुरुदेव टैगोर केरल में एक घरेलू नाम था। मुझे याद है कि आठ साल की उम्र में मुझे मिनी (रवींद्रनाथ टैगोर की लघुकथा काबुलीवाला की एक पात्र) से प्यार हो गया था। जब मैं कॉलेज में था, सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन हमारे हीरो और रोल मॉडल थे।”
बता दें कि आनंद बोस एक शानदार लेखक और स्तंभकार हैं। उन्होंने उपन्यास, लघु कथाएं, कविताएं और निबंध सहित अंग्रेजी, मलयालम और हिंदी में 40 पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए 29 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।

केरल-बंगाल कल्चर कॉरिडोर पर हो रहा विचार
आइडिया एक्सचेंज कार्यक्रम में आनंद बोस ने बताया किस तरह पश्चिम बंगाल सरकार विशेष रूप से शिक्षा मंत्री के सहयोग से केरल-बंगाल संस्कृति गलियारे पर विचार किया जा रहा है। राज्यपाल ने बताया, “प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हम आदान-प्रदान कार्यक्रमों के लिए दोनों राज्यों के कलाकारों, लेखकों, चित्रकारों, नर्तकियों को आमंत्रित कर रहे हैं।”
अपने पूर्ववर्ती राज्यपाल जगदीप धनखड़ के विपरीत बोस की छवि राज्य सरकार के साथ मिल जुलकर काम करने वाली रही है। इंडियन एक्सप्रेस की डिप्टी पॉलिटिकल एडिटर लिज मैथ्यू ने आनंद बोस से पूछा कि उन्होंने कैसे सुलह और सहयोग का रास्ता बनाया?
जवाब में सीवी आनंद बोस ने कहा, “टकराव की जगह हमें सुलह करनी चाहिए। घृणा की जगह सहानुभूति होनी चाहिए। अपने जुनून को करुणा से संयमित किया जाना चाहिए। बीच का रास्ता समाज के लिए हमेशा बेहतर होता है। राजभवन को नो कॉन्फ्लिक्ट जोन बनाया जाए। मुझे खुशी है कि राजनीति, मीडिया, सरकार, न्यायपालिका सहित बंगाल के सभी स्टेकहोल्डर्स को मेरा तरीका पसंद आया है।”