‘वारिस पंजाब दे’ (Waris Punjab De) संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) चर्चा में हैं। हाल में बंदूकों और तलवारों से लैस अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने पुलिस स्टेशन (Police station) पर हमला कर दिया था, जिसमें करीब छह पुलिस वाले घायल हुए थे। थाने पर हमला अमृतपाल सिंह के साथी लवप्रीत सिंह तूफान को छुड़ाने के लिए किया गया था।
29 साल के अमृतपाल सिंह लगातार मीडिया से बातचीत में खालिस्तान की मांग कर रहे हैं। वीडियो और तस्वीरों में उनके साथ चल रहे हथियारबंद लोगों को देखा जा सकता है। थाने पर हमले के दौरान भी हथियारों का इस्तेमाल देखा गया। जबकि पंजाब में फायरआर्म का सार्वजनिक प्रदर्शन तक प्रतिबंधित है।
पंजाब में फायरआर्म का सार्वजनिक प्रदर्शन बैन
भगवंत मान की सरकार ने नवंबर 2022 में एक आदेश जारी करते हुए हथियारों के सार्वजनिक प्रदर्शन (सोशल मीडिया पर भी) को बैन कर दिया था। आदेश के अनुसार, सोशल मीडिया सहित हथियारों के सार्वजनिक प्रदर्शन के साथ-साथ हथियारों या हिंसा का महिमामंडन करने वाले गीतों पर प्रतिबंध लगाया दिया गया था। बावजूद इसके पिछले कुछ समय से अमृतपाल सिंह के समर्थकों द्वारा हथियारों का सार्वजनिक प्रदर्शन देखा जा रहा है।
राज्य में बंदूक ही बंदूक
भारत की मात्र 2 प्रतिशत आबादी पंजाब में रहती है। लेकिन पूरे भारत में जितने लाइसेंसी बंदूक हैं, उसका 10 प्रतिशत अकेले पंजाब के लोगों के पास है। पंजाब के 3,45,396 लोगों के पास फायरआर्म (बंदूक) का लाइसेंस है। इन लाइसेंसों पर 4,38,676 हथियार पंजीकृत हैं। शस्त्र नियम 2016 के अनुसार केवल खेल निशानेबाजों को तीन बंदूक रखने की अनुमति है।
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक्सेस किए गए आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का गढ़ पटियाला में 28,311 लाइसेंस हैं, जिनसे 48,485 हथियार लिए गए हैं। यह राज्य का सबसे अधिक लाइसेंसी हथियार वाला जिला है।
दूसरे नंबर पर मारे गए खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का गृह जिला मोगा है। भिंडरावाले के गृह जिला में हथियार के 26,756 लाइसेंस है, जिसपर 44,862 हथियार पंजीकृत हैं। तीसरे नंबर पर बठिंडा है। वहां 29,267 लाइसेंस पर 37,645 हथियार लिए गए हैं।