सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 9 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि नीरव मोदी (Nirav Modi) के बहनोई मैनाक मेहता (Mainak Mehta) के वापस उनके घर हांगकांग जाने की याचिका पर दोबारा विचार करे। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई के दौरान इस बात का संज्ञान लिया कि नीरव मोदी (Nirav Modi) के बहनोई मैनाक मेहता सीबीआई को इस बात का ऑथराइजेशन देने को तैयार हैं कि एजेंसी मोदी के बैंक अकाउंट स्टेटमेंट से जुड़ी जानकारी के लिए बैंकों को सीधे संपर्क कर सकते हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सीबीआई (CBI) ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें मेहता को बॉम्बे हाईकोर्ट ने घर जाने की इजाजत दे दी थी। मैनाक मेहता ब्रिटिश नागरिक हैं और अपने परिवार सहित हांगकांग में रहते हैं। मेहता, 8 सितंबर 2021 को भारत लौटे थे और पहली बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। कुछ महीने बाद मेहता ने कोर्ट को बताया कि हांगकांग में उनका काम प्रभावित हो रहा है। वहां उनकी पत्नी, बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता हैं और परिवार को उनकी जरूरत है। इस दलील पर कोर्ट ने उन्हें घर जाने की इजाजत दे दी थी।
आपको बता दें कि सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) , दोनों केंद्रीय एजेंसियां नीरव मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक से घोटाले की जांच कर रही हैं और मामले में चार्जशीट भी फाइल कर चुकी हैं।
पिछली सुनवाई पर क्या हुआ था?
Live Law की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पिछली सुनवाई के दौरान ASG एसवी राजू ने बताया था कि मैनाक मेहता ने सीबीआई को लेटर ऑफ अथॉरिटी देने से इंकर कर दिया है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने मेहता को केंद्रीय एजेंसी को लेटर देने का निर्देश दिया था।
‘ऐसे तो भरोसा उठ जाएगा…’
9 फरवरी को सुनवाई के दौरान मेहता (Mainak Mehta) की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट अमित देसाई ने कहा कि मैनाक मेहता केंद्रीय एजेंसी को हर तरह से सहयोग कर रहे हैं और लेटर ऑफ ऑथराइजेशन भी देने को तैयार हो गए हैं, ताकि सीबीआई नीरव मोदी (Nirav Modi) के बैंक स्टेटमेंट के लिए बैंकों से सीधे संपर्क कर सके, बशर्ते सीबीआई एक टाइम फ्रेम (समय-सीमा) निर्धारित कर दे, जिसमें मेहता को घर जाने की इजाजत मिले।
मेहता के वकील ने बताया कि ‘मैनाक मेहता अपने माता-पिता की अचल संपत्तियों का ब्यौरा और उनके पासपोर्ट की डिटेल्स भी देने को तैयार हैं…मेहता ने हर तरह से सहयोग किया, इसके बावजूद घर जाने की इजाजत नहीं मिली। उनके (मेहता के) साथ जैसा व्यवहार किया जा रहा है, हालत यह है कि लोग वाकई में यही उदाहरण देते हुए सहयोग से डरेंगे।
दलील पर क्या बोले CJI डीवाई चंद्रचूड़?
मैनाक मेहता (Mainak Mehta) के वकील की इस दलील पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जिस वक्त हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था, उस वक्त हालात दूसरे थे और अब हालात अलग हैं। मेहता सीबीआई को ऑथराइजेशन देने के लिए तैयार हैं, बशर्ते उन्हें टाइमफ्रेम दिया जाए। ऐसे में हाईकोर्ट इस मामले को दोबारा सुने और महीने भर के भीतर नया आदेश दे।