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शीशा लेकर नहीं पढ़ सकते, टाइप करके लाइए- CJI चंद्रचूड़ ने कहा तो वकील ने उल्‍टे कर दी नए आदेश की मांग

CJI ने कहा कि वकीलों को हाईकोर्ट के जजमेंट की टाइप्ड कॉपी लानी होगी, क्योंकि वाटरमार्क की वजह से पढ़ने में परेशानी होती है।

DY Chandrachud | supreme court
भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश DY Chandrachud (Photo Credit – PTI)

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने 22 मार्च को वकीलों को निर्देश दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के निर्देशों का पालन करें। यदि सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के किसी जजमेंट की कॉपी पेश कर रहे हैं और उस पर बड़ा वाटरमार्क है तो उसकी टाइप्ड कॉपी ही पेश करें। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी तब की जब एक वकील ने उनके सामने यह मसला रखा और कहा कि हाईकोर्ट के जजमेंट को टाइप करना मुश्किल भरा काम है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि रजिस्ट्री के आदेश का पालन करिये… हाई कोर्ट के जजमेंट को टाइप कर ले आइए। हम हाईकोर्ट के जजमेंट पढ़ना चाहते हैं लेकिन उस पर बड़े वाटरमार्क हैं। इसलिए पढ़ने में नहीं आता है। हम मैग्नीफाइंग ग्लास (आतिशी शीशा) लगाकर नहीं पढ़ सकते हैं…’। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें हर दिन सैकड़ों फाइलें पढ़नी होती हैं। इस तरीके से वाटरमार्क लगी फाइल को पढ़ने में बहुत परेशानी होती है।

वकील की नए आदेश की मांग

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के इस आदेश पर वकील ने वकील ने उल्टा उनसे एक और मांग कर दी। कहा कि CJI हाईकोर्ट को निर्देश दें कि जजमेंट्स पर वाटरमार्क लगाना बंद कर दें। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने जवाब देते हुए कहा कि हाईकोर्ट हमारे प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। हालांकि तमाम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस संबंध में पत्र लिखा गया है।

चीफ जस्टिस (CJI DY Chandrachud) यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि आपको भी समझना चाहिए और सहयोग करना चाहिए…यहां हाथ हिलाने का कोई मतलब नहीं है। सीजेआई ने दो टूक कहा कि इस मसले में रजिस्ट्री में दखलअंदाजी करने का मेरा कोई विचार नहीं है।

पहले भी उठ चुका है मामला?

यह कोई पहली बार नहीं है जब वाटरमार्क (Watermark) को लेकर चर्चा हुई हो। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ लगातार कहते रहे हैं कि ऐसी फाइलें जिन पर बड़े-बड़े वाटरमार्क होते हैं, उन्हें पढ़ने में मुश्किलें आती हैं। अगस्त 2021 में उन्होंने मौखिक तौर पर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी तमाम ट्रिब्यूनल से संपर्क कर उनसे कहेगी कि जजमेंट की कॉपियों पर इस तरीके से वाटरमार्क ना लगाएं।

CJI ने दिया था क्लर्क का उदाहरण

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक किस्सा भी सुनाया था कि किस तरीके से एक क्लर्क जो, दृष्टिबाधित हैं, उन्हें वाटर मार्क की वजह से फाइलें पढ़ने में कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा। दिसंबर 2020 में एक कार्यक्रम में CJI ने कहा था कि जजमेंट के हर पेज पर वाटरमार्क लगाने की प्रक्रिया खत्म कर देनी चाहिए, इसका कोई तुक नहीं है।

क्या है वाटरमार्क?

वाटरमार्क (Watermark) किसी दस्तावेज के बैकग्राउंड पर टेक्स्ट, लोगो, स्टैंप या सिग्नेचर होता है, जिसका इस्तेमाल कॉपीराइट दिखाने के लिए किया जाता है। वाटरमार्क (Watermark) वाले दस्तावेजों को बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

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First published on: 22-03-2023 at 13:44 IST
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