चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने कहा कि काम के लंबे घंटे, रातों को जगना, व्यायाम नहीं करना, आर्थिक चिंताएं पेशे को तनावपूर्ण बनाती हैं। मानसिक सेहत अच्छी रहनी चाहिए। मानसिक सेहत सबसे जरूरी है। भले ही यह आपको तत्काल कॅरिअर में आगे ले जाने में मदद नहीं करता हो। जरूरत से ज्यादा काम को महिमामंडित करने से बचना चाहिए, यह कोई अच्छी बात नहीं है। इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड बी. विल्किंस के साथ वर्चुअल बातचीत में कानून से जुड़े पेशे के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने मेंटल हेल्थ से जुड़े मुद्दे पर विस्तार से अपनी बात रखी।
CJI ने कहा कि कानून का पेशा ऐसा है, जिसमें तमाम तरह की प्रतिस्पर्धा है और तनाव है। इसका मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि कानून का पेशा ऐसा है, जिसमें काम की कोई अवधि निर्धारित नहीं है, रात- रात भर जागना पड़ता है। किसी फिजिकल एक्टिविटी का मौका नहीं मिलता, आर्थिक चिंताएं भी हैं। इन्हीं सब कारणों से यह प्रोफेशन तनावपूर्ण है।
CJI ने कहा कि कोरोना के बाद तमाम वकीलों के पास काम नहीं रहा। कई वकीलों ने अपने दोस्त, परिवार और नजदीकियों को खो दिया। इससे भी इमोशनल हेल्थ पर असर पड़ा है।
ओवरवर्क को महिमामंडित करने से बचें
Live Law की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने किसी एक व्यक्ति की सफलता को पैमाना बनाने के प्रति भी आगाह किया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमने एक ऐसा सिस्टम बना दिया है जो लगभग सभी चीजों के बलिदान को सफल का मापदंड मानता है। इस माइंडसेट को बदलने की आवश्यकता है। हमें जरूरत से ज्यादा काम यानी ओवरवर्क को महिमामंडित करने से बचना चाहिए, यह आपको बहुत नीचे ले जाता है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (Chief Justice of India) ने कहा कि लॉ फर्म्स और बैरिस्टर ऑफिसेज को अपने कार्यालय में प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा देने पर जोर देना चाहिए, खासकर मेंटल हेल्थ पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
CJI ने कहा कि युवा वकीलों को पर्याप्त सैलरी या भत्ता भी देने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। आपको बता दें कि हार्वर्ड लॉ स्कूल ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को ‘ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड’ (“Award for Global Leadership) से सम्मानित किया। यह कार्यक्रम वर्चुअली आयोजित किया गया था।