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CJI चंद्रचूड़ ने सुरेश चव्हाणके Hate Speech केस में दिल्ली पुलिस से पूछा- FIR दर्ज करने में 5 महीने लगा दिये, 8 महीने बाद भी हाथ खाली क्यों?

Hate Speech Case: CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि एफआईआर दर्ज करने में 5 महीने क्यों लगे और अब तक कोई प्रगति क्यों नहीं है?

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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। Illustration – Indian Express

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुदर्शन टीवी (Sudarshan TV) के संपादक सुरेश चव्हाणके (Suresh Chavhanke) के नेतृत्व में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा दिसंबर 2021 में आयोजित कार्यक्रम में हेट स्पीच केस में दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। शुक्रवार (13 जनवरी) को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की डिवीजन बेंच ने जांच अधिकारियों को 2 सप्ताह के अंदर प्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट, एक्टिविस्ट तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

मामले की सुनवाई करते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से पूछा ‘जांच में अभी तक आप लोग क्या कर रहे हैं? घटना 19 दिसंबर 2021 की है, 5 महीने बाद एफआईआर दर्ज की… आपको FIR दर्ज करने के लिए 5 महीने का वक्त क्यों चाहिए’? इस पर ASG ने कहा कि देरी जानबूझकर नहीं की गई थी, क्योंकि पुलिस मामले का वेरिफिकेशन कर रही थी।

FIR में 5 महीने क्यों लगाए?

इस पर CJI ने सवाल किया कि ‘फिर मई 2021 के बाद अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए? आपने क्या किया? कितने लोगों को गिरफ्तार किया, क्या जांच की? कितने लोगों से पूछताछ की? CJI ने फटकार लगाते हुए कहा कि 4 मई के बाद अब 8 महीने हो गए हैं। आपकी जांच की क्या प्रगति है? पहले एफआईआर दर्ज करने में 5 महीने लगाए, अब 8 महीने बाद भी कोई प्रगति नहीं है…मुझे बताएं’। इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने दिशा-निर्देश के बाद जवाब दाखिल करने को कहा है।

क्या है पूरा मामला?

19 दिसंबर 2021 को हिंदू युवा वाहिनी (Hindu Yuva Vahini) ने दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसके आयोजकों में कथित तौर पर सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके भी शामिल थे। सुदर्शन चौहान पर आरोप है कि उन्होंने इस कार्यक्रम में जानबूझकर एक समूह को भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए मरने-मारने की शपथ दिलाई थी।

हेट स्पीच के मामलों में बाढ़

हाल के सालों में हेट स्पीच से जुड़े मामलों (Hate Speech Cases) में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। सर्वाधिक मामले नेताओं के खिलाफ दर्ज हुए और कुछ को सजा भी हुई। सपा नेता आजम खान ताजा उदाहरण हैं। हेट स्पीच से जुड़े मामले में उन्हें कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 3 साल की सजा सुनाई थी, हालांकि अभी जमानत पर बाहर हैं। एनसीआरबी (National Crime Records Bureau) के आंकड़ों को देखें तो पिछले 7 सालों में हेट स्पीच के मामलों में 500 प्रतिशत तक इजाफा हुआ और इस अवधि में सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए।

500 प्रतिशत की बढ़ोतरी

जहां साल 2014 में हेट स्पीच (Hate Speech) के 323 मामले दर्ज किए गए थे तो 2020 में 1804 मामले दर्ज हुए। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक दलों में, हेट स्पीच के सर्वाधिक मामले बीजेपी नेताओं पर दर्ज हैं। बीजेपी के 27 विधायकों और सांसदों ने अपने शपथ पत्र में खुद इस बात को माना है।

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First published on: 13-01-2023 at 15:01 IST
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