scorecardresearch
Premium

CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने क्यों पलट दी मासूम के हत्यारे की फांसी की सजा? जानिये सजा-ए-मौत पर क्या कहता है कानून

मृत्युदंड यानी मौत की सजा, जघन्यतम आपराधिक मामलों में दोष सिद्ध होने के बाद मिलती है। सजा-ए-मौत किसी न्यायालय द्वारा किसी दोषी को दिया जाने वाला सबसे उच्चतम और कठोरतम दंड है।

Justice DY Chandrachud, Supreme Court, MP High Court
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़। फाइल फोटो

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 21 मार्च को सुंदरराजन नाम के शख्स की मौत की सजा घटा दी। 20 साल की कैद में तब्दील कर दिया। सुंदरराजन को साल 2009 में 7 साल के नाबालिग के अपहरण और हत्या का दोषी पाया गया था और सजा-ए-मौत दी गई थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए सुंदरराजन की सजा को बरकरार रखा, लेकिन मौत की सजा को घटाकर 20 साल की कैद में तब्दील कर दिया।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बदली सजा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता मृत्युदंड का सजायाफ्ता है। मोहम्मद आरिफ जजमेंट के आधार पर याचिकाकर्ता की दोष सिद्ध पर फिर से विचार करने की याचिका पर खुली अदालत में समीक्षा होनी चाहिए। हम याचिकाकर्ता के अपराध पर संदेह करने का कारण नहीं देखते। मौत की सजा को 20 साल की कैद में बदलते हैं।

10 साल पहले खारिज कर दी थी रिव्यू पिटीशन

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में 20 मार्च 2013 को रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी थी और मौत की सजा को बरकरार रखा था। बाद में मोहम्मद आरिफ जजमेंट (Mohd. Arif @Ashfaq Vs. The Registrar) के बाद 2018 में उस आदेश को वापस ले लिया गया था। बता दें कि मोहम्मद आरिफ केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मृत्युदंड से जुड़ी रिव्यू पिटीशन को खुले अदालत में सुना जाना चाहिए।

पुलिस अफसर के खिलाफ चलेगा अवमानना का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में तमिलनाडु के कडलुर (Cuddalore) जिले के एक पुलिस अफसर के खिलाफ अदालत में गलत हलफनामा दाखिल करने के लिए अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का आदेश भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।

कब मिलती है मौत की सजा?

मृत्युदंड यानी मौत की सजा (Death Sentence), जघन्यतम आपराधिक मामलों में दोष सिद्ध होने के बाद मिलती है। सजा-ए-मौत किसी न्यायालय द्वारा किसी दोषी को दिया जाने वाला सबसे उच्चतम और कठोरतम दंड है। भारत में मृत्युदंड ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामलों तक सीमित है। उदाहरण के तौर पर भारतीय दंड संहिता 1807 की धारा 121 और धारा 302 के तहत आने वाले मामले। आईपीसी की धारा 121 के तहत राज्य के विरुद्ध हथियार उठाने जैसे संगीन मामले आते हैं। इसी तरह 302 के तहत हत्या जैसे जघन्यतम अपराध आते हैं।

मौत की सजा पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का रुख?

साल 1980 के बहुचर्चित बच्चन सिंह बनाम पंजाब स्टेट केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘मिटिगेटिंग’ और ‘एग्रीवेटिंग’ परिस्थितियों (Mitigating and Aggravating Circumstances) को एक दूसरे के साथ संतुलित किया जाना चाहिए और तब तक मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए जब तक कि आजीवन कारावास का विकल्प बचा ही न हो।

इसी तरह साल 2021 के मोफिल खान बनाम झारखंड स्टेट केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि राज्य का कर्तव्य है कि वह यह साबित करने हेतु साक्ष्य हासिल करे कि दोषी के पुनर्वास की कोई संभावना नहीं है।

क्या है मृत्युदंड देने की प्रक्रिया?

सीआरपीसी 1973 की धारा 354 (3) के तहत न्यायालयों को मृत्युदंड देने के कारण को लिखित रूप से बताना अनिवार्य है। यदि सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई होती है तो फैसले में लिखना पड़ता है कि मामले को आखिर क्यों ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ माना गया। यदि सेशन जज मृत्युदंड की सजा सुना दे तो उसे तब तक वैध नहीं माना जाता है जबतक हाईकोर्ट मंजूरी न दे दे। सेशन कोर्ट के फैसले के बाद हाईकोर्ट में अपील की प्रक्रिया को रेफरेंस कहते हैं। अगर हाईकोर्ट यह मानता है कि मामला ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ है और मौत की सजा जायज है तब अभियुक्त हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।

कौन बदल सकता है मृत्युदंड की सजा?

यदि सुप्रीम कोर्ट से भी अर्जी खारिज हो जाती है तो जिस राज्य की अदालत ने फैसला दिया है उसके राज्यपाल या राष्ट्रपति के पास मृत्युदंड माफ करने की अर्जी दी जा सकती है। जब तक अर्जी पर फैसला ना आ जाए तब तक दोषी को सजा नहीं दी जा सकती है।

पढें विशेष (Jansattaspecial News) खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News)के लिए डाउनलोड करें Hindi News App.

First published on: 21-03-2023 at 15:34 IST
अपडेट