चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI DY Chandrachud) ने बुधवार को एक वकील की इस टिप्पणी पर कड़ी नाराजगी जताई कि महिला वकील केसेज की ई- फाइलिंग में सक्षम नहीं है। मामलों की अनिवार्य ई-फाइलिंग से जुड़ी अर्जी पर सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि महिला वकीलों और सीनियर सिटीजन के लिए ई फाइलिंग मुश्किल वाला काम है। वकील की यह टिप्पणी CJI चंद्रचूड़ को पसंद नहीं आई।
जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने वकील से सवाल किया कि महिलाओं के लिए यह कठिनाई वाला काम क्यों है? ऐसी धारणा क्यों है कि महिलाएं टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी? सीजेआई ने कहा कि महिला वकील अपने पुरुष समकक्ष के मुकाबले ज्यादा टेक सेवी हैं।
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि एमपी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (MP High Court Bar Association) ने कंपल्सरी ई-फाइलिंग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। याचिका में कहा गया है कि यह नियम (अनिवार्य ई फाइलिंग) रातों-रात बना दिया गया। किसी से कोई सुझाव-सलाह नहीं ली गई। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि हमें कम से कम 6 महीने का समय दिया जाना चाहिए। कोई भी नियम पारदर्शी तरीके से लागू किया जाना चाहिए। टेक्नोलॉजी काम आसान बनाती है, ना कि मुश्किल।
क्या बोले CJI चंद्रचूड़?
अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों की मदद के लिए हेल्प डेस्क भी है। सीजेआई ने कहा कि पहले ई-फाइलिंग ऑप्शनल था। बाद में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसके तहत 100 करोड़ या इससे अधिक वैल्यू के केसेज की ई-फाइलिंग अनिवार्य की गई। एक कांफ्रेंस में सुझाव दिया गया था कि ई-फाइलिंग अनिवार्य किया जाना चाहिए।
क्या है ई-फाइलिंग सिस्टम?
ई-फाइलिंग का पूरा नाम ईलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग (Electronic Filing) है। ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत कानूनी दस्तावेजों की ऑनलाइन फाइलिंग के लिए की गई थी। यह वकीलों को चौबीसो घंटे, सातों दिन (24X7) कहीं से भी अपने केस से जुड़ों दस्तावेजों को अपलोड करने और उसे देखने की सुविधा प्रदान करता है। पहले वकीलों को अनावश्यक रूप से केस से जुड़े डॉक्यूमेंट दाखिल करने के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता था, लेकिन अब कहीं से भी ई फाइल कर सकते हैं।
क्या है ई-फाइलिंग का लाभ?
ई-फाइलिंग को न्यायालयों में पारदर्शिता बढ़ाने की अहम कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ई-फाइलिंग का कोर्ट के साथ-साथ वकीलों को भी लाभ है। कोर्ट पेपर लेस हाेंगे, केस की डिटेल दस्तावेज सहित ऑनलाइन मुहैया होगी, फाइलों के खाेने की समस्या खत्म होगी। अभी न्यायालयों में फाइलों को रखने में काफी जगह और संसाधन की आवश्यकता होती है। धीरे-धीरे इसपर भी निर्भरता घटेगी।