सुप्रीम कोर्ट ने 24 फरवरी को कोरोना महामारी के दौरान न्याय सुनिश्चित करने के निर्देश की मांग वाली याचिका बंद कर दी। यह याचिका एडवोकेट एम एल शर्मा ने दाखिल की थी। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा ‘यह बेहद बेतुका है। तब से अब तक तो बहुत पानी बह चुका है। मैं खुद हर दिन रात 8 से 8.30 तक कोर्ट में सभी कामकाज का जायजा लेता हूं’।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता एम एल शर्मा से कहा कि, ‘आप रजिस्ट्रार से जाकर पूछिए कि हम न्याय सुनिश्चित करने के लिए क्या-क्या कदम उठा रहे हैं…लाइव स्ट्रीमिंग से लेकर तमाम चीजों की व्यवस्था कर चुके हैं…’।
कोरोना में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कदम उठाए?
कोरोना महामारी (COVID-19) के सुप्रीम कोर्ट ने ई-इनीशिएटिव्स (e-initiatives) के तहत तमाम कदम उठाए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई से लेकर, हाइब्रिड हियरिंग, वर्चुअल कोर्ट, ई-फाइलिंग और ई-पेमेंट जैसी सुविधाएं शुरू कीं।
कौन सी नई सुविधाएं शुरू की गईं?
कुछ वक्त पहले वर्ल्ड बैंक के एक कार्यक्रम में The Courts and COVID-19: Adopting Solutions for Judicial Efficiency विषय पर अपनी बात रखते हुए बताया था कि सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने कोरोना महामारी को देखते हुए कौन-कौन से कदम उठाए।
1- केसेज से जुड़ी जानकारी और उसके मैनेजमेंट के लिए एक निशुल्क ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर डेवलप किया गया
2- तमाम कोर्ट कांप्लेक्स में ई-सर्विसेज की शुरुआत की गई
3- ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन जैसे सामान्य अपराध के लिए वर्चुअल कोर्ट की शुरुआत हुई
4- सेशन कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक के केसेस के डाटा के लिए नेशनल ज्यूडशल डाटा ग्रिड सिस्टम विकसित किया
5- समन के लिए जीपीएस इनेबल्ड सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सिस्टम NSTEP की शुरुआत
AI के जरिये ट्रांसक्रिप्शन की शुरुआत:
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए सुनवाई की लाइव ट्रांसक्रिप्शन की सुविधा भी शुरू की है। CJI चंद्रचूड़ ने बताया था कि इसे प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। शुरू में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के मामलों का ट्रांसक्रिप्शन हो रहा है।
सुविधाएं बंद करने पर नाराजगी भी जता चुके हैं CJI
कुछ वक्त पहले ही CJI तमाम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का नाम लिए बगैर उन पर तीखी टिप्पणी भी कर चुके हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि कई हाईकोर्ट में कोरोना वायरस के दौरान शुरू हुई सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। मुझे सब पता है कौन चीफ जस्टिस क्या कर रहा है। CJI ने कहा था कि कुछ जज तर्क देते हैं कि अगर हम फिजिकल अपीयर हो रहे हैं तो वकीलों और वादी को भी होना चाहिए, उन्हें समझने की आवश्यकता है कि दोनों की परिस्थितियां अलग अलग हैं।