Union Budget 202 Latest News and Updates: 28 फरवरी 1970 को संसद का बजट सत्र ऐतिहासिक था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के पास वित्त मंत्रालय का प्रभार भी था और उस दिन इंदिरा गांधी देश का बजट पेश करने वाली पहली महिला बन गईं। 28 फरवरी की शाम 5 बजे इंदिरा गांधी को बजट पेश करना था, लेकिन संसद के अंदर चीजें ठीक नहीं चल रही थीं। कारण कांग्रेस के अंदर चल रही उठापटक थी।
दूसरी बार कोई PM पेश कर रहा था बजट
पीएम इंदिरा गांधी और पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद गहरा गए थे। बैंकों के राष्ट्रीयकरण मसले पर विवाद के बाद मोरारजी देसाई को वित्त मंत्रालय से हटाकर खुद इंदिरा गांधी ने प्रभार ले लिया था। यह दूसरा मौका था जब कोई प्रधानमंत्री खुद बजट पेश कर रहे था। इससे पहले साल 1957 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी बजट पेश किया था।
बजट सत्र के बीच स्पीकर से हो गई बड़ी गलती
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपना बजट भाषण खत्म किया और वित्त विधेयक (फाइनेंस बिल) पेश करना शुरू किया। फाइनेंस बिल में ही बजट भाषण में जिक्र किए गए तमाम प्रस्तावों को लागू करने के कानूनी प्रावधान शामिल होते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री जब तक फाइनेंस बिल पेश कर पातीं, तब तक कन्फ्यूजन में स्पीकर जीएस ढिल्लन ने संसद को अगले दिन यानी सोमवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
सरकारी खजाने को होता भारी नुकसान
इस एक चूक की वजह से सरकार के खजाने पर भारी प्रभाव पड़ने वाला था। चूंकि बजट में इनकम टैक्स से जुड़े प्रावधान तो एक अप्रैल से लागू होते हैं, लेकिन पेट्रोल, सिगरेट, एसी जैसी तमाम चीजों के दाम उसी दिन आधी रात से बढ़ने वाले थे। अगर इंदिरा गांधी फाइनेंस बिल 28 फरवरी की जगह सोमवार को पेश करतीं तो सरकार को इन तमाम चीजों पर एक दिन के टैक्स का नुकसान उठाना पड़ता।
रात 10 बजे सांसदों को दोबारा बुलवाया गया
स्पीकर जीएस ढिल्लन ने जब 6:15 पर संसद स्थगित किया तो तमाम सांसद पार्लियामेंट बिल्डिंग से निकल गए। प्रधानमंत्री के सामने समस्या यह थी कि अगर उसी दिन फाइनेंस बिल पेश नहीं करतीं तो सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचता। ऐसे में स्पीकर के सामने बात रखी गई। जीएस ढिल्लन के सामने दोबारा सत्र बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
पार्लियामेंट सचिवालय की तरफ से सांसदों के घर फोन घनघनाने लगे। तमाम सांसदों के घर लोगों को भेजा गया और उन्हें स्पीकर का मैसेज दिया गया। उस दिन रात को 10 बजे फिर संसद बैठी और प्रधानमंत्री ने फाइनेंस बल इंट्रोड्यूस किया। और इसी के साथ इंदिरा गांधी के 1971 के आम चुनाव के ‘गरीबी हटाओ’ नारे की शुरुआत भी हुई।