PIL Against Vice President and Law Minister: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) और केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) के खिलाफ बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया है। एसोसिएशन ने वाइस प्रेसिडेंट और कानून मंत्री के खिलाफ न्यायपालिका, कॉलेजियम और सुप्रीम कोर्ट पर सार्वजनिक टिप्पणी के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की है।
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (Bombay Lawyers Association) की तरफ से अध्यक्ष अहमद आब्दी ने पीआईएल (PIL) दाखिल की है। इस पीआईएल में कहा है कि जिस तरीके से उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री ने न्यायपालिका से लेकर कॉलेजियम सिस्टम पर टिप्पणी की, वह इंस्लटिंग है। संवैधानिक पदों पर बैठे देश के जिम्मेदार लोगों की ऐसी टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंची है।
PIL में क्या आरोप लगाए गए हैं?
PIL में कहा गया है कि उप-राष्ट्रपति और कानून मंत्री, सार्वजनिक मंच पर खुले तौर पर कॉलेजियम के साथ-साथ संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला कर रहे हैं। संवैधानिक पदों पर बैठे जिम्मेदार लोगों का यह व्यवहार अशोभनीय है। इस बयान से जनता की नजर में सुप्रीम कोर्ट की गरिमा गिरी है। PIL में ऐसे कई उदाहरण भी दिये गए हैं, जब उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री ने सार्वजनिक मंच से न्यायपालिका पर तीखी टिप्पणी की।
एडवोकेट एकनाथ धोकाले के जरिये दाखिल PIL में कहा गया है कि जिस तरीके से उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री ने अपने बयान के जरिये यह दिखाया कि उनका संविधान में भरोसा नहीं है, दोनों अपने पद पर रहने के योग्य नहीं हैं और दोनों को हटाने की मांग की है। हालांकि अभी पीआईएल पर सुनवाई की कोई डेट नहीं मिली है।
उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने क्या कहा था?
पिछले दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ( Jagdeep Dhankhar) ने साल 1973 के चर्चित ‘केशवानंद भारती केस’ का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट के बेसिक स्ट्रक्चर आइडिया पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि इस फैसले में कहा गया कि संसद चाहे तो संविधान संशोधन कर सकती है, लेकिन उससे बेसिक या बुनियादी ढांचे में कोई बदलाव नहीं कर सकती है। आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संसद की संप्रभुता से समझौता कैसे किया जा सकता है, मुझे समझ में नहीं आता है? उप-राष्ट्रपति ने साफ-साफ कहा था कि मैं इससे सहमत नहीं हूं। उप राष्ट्रपति की इस टिप्पणी का सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व जजों ने जवाब भी दिया था।
कानून मंत्री रिजिजू ने क्या कहा था?
उधर, कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) भी पिछले कुछ दिनों से लगातार कॉलेजियम का मसला उठा रहे हैं और कॉलेजियम की जगह एनजेएसी की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि जजों को कोई चुनाव नहीं लड़ना होता है और न्यायाधीश या न्यायालय भी सवालों से परे नहीं हैं।