बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार (30 जनवरी) को एक याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई है। याचिकाकर्ता का दावा था कि महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार के उस सर्कुलर को लागू नहीं किया, जिसमें महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर 30 जनवरी को सुबह 11 बजे सायरन बजाने का आह्वान किया गया था। बता दें कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला (Acting Chief Justice SV Gangapurwala) और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने (Justice Sandeep Marne) की खंडपीठ ने सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता फ़िरोज़ मिथिबोरवाला (Feroz Mithiborwala) द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि विस्तार से बताइए किन जगहों पर साइरन नहीं बजा? जब याचिकाकर्ता ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी तो कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा- आप खुद बताइए कि आपने कौन सा सामाजिक कार्य किया है?
केंद्र सरकार ने जारी किया सर्कुलर
केंद्र सरकार ने 7 जनवरी के अपने सर्कुलर में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वालों की याद में 30 जनवरी को सुबह 11 बजे दो मिनट का मौन रखने का निर्देश दिया था।
सर्कुलर में कहा गया है कि इस दौरान पूरे देश में सभी काम और आवाजाही बंद कर दी जानी चाहिए। साथ ही सायरन की ध्वनि बजने के साथ ही दो मिनट के मौन की शुरुआत होनी चाहिए। इसके अलावा सर्कुलर में स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय एकता पर हाइब्रिड मोड में आयोजित होने वाली वार्ता व भाषणों को प्रोत्साहित करने की बात कही गई है।
जज ने लगाई फटकार
मिथिबोरवाला की ओर से पेश अधिवक्ता अविनाश गोखले ने तर्क दिया कि राज्य सरकार नेशनल इंट्रीगेशन पर एक्टिविटीज के मामले में विफल रही है।
कोर्ट ने पूछा, “कहां ऐसे उदाहरण हैं जहां राज्य सर्कुलर का पालन नहीं कर रहे हैं? सायरन बज रहा था…ऐसी घटनाएं दिखाइए कि उसका सर्कुलर का पालन नहीं किया गया है।” गोखले ने तर्क दिया कि अधिकांश पुलिस थानों में आपात स्थिति के लिए भी सायरन या अलार्म सिस्टम नहीं हैं।
अदालत ने कहा, “आप हमें उदाहरण के साथ नहीं बताइए। थाने में सायरन नहीं होना अलग बात है, आप कह रहे हैं कि सर्कुलर का पालन नहीं किया गया है। इस बात के क्या उदाहरण हैं।”
वकील ने कहा, “विद्यालयों में राष्ट्रीय एकता पर व्याख्यान के लिए प्रदान किए गए सर्कुलर को भी राज्य ने इम्प्लिमेंट नहीं किया” इस पर कोर्ट ने पूछा “दो मिनट का मौन या सायरन क्या महत्वपूर्ण है? आप कितनी बार स्कूलों में गए हैं और राष्ट्रीय एकता पर व्याख्यान दिया है? अस्पष्ट तरीके से याचिका दायर करना बहुत आसान है।”
इसके बाद याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने के लिए समय मांगा। अदालत ने याचिका को सुनवाई के लिए 30 मार्च, 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया है।