Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस की महत्वाकांक्षी राजनीतिक परियोजना ‘भारत जोड़ो यात्रा’ राहुल गांधी के नेतृत्व में जारी है। यात्रा को स्वागत के साथ-साथ सवालों का भी सामना करना पड़ा रहा है। भाजपा के अलावा कई दूसरे दल भी राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर संदेह व्यक्त कर चुके हैं। तमिलनाडु से शुरू होकर यात्रा जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (CPI-M) शासित केरल पहुंची, तो वामपंथी दल ने कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाया।
CPI-M के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक कार्टून शेयर करते हुए लिखा गया, ”भारत जोड़ो यात्रा केरल में 18 दिन रहेगी, वहीं यूपी में 2 दिन। यह आरएसएस और बीजेपी से लड़ने का अजीब तरीका है।” बता दें केरल में लोकसभा की 20 और उत्तर प्रदेश में 80 सीट है। केरल में कांग्रेस का मुकाबला CPI-M से होता है। वहां भाजपा अब भी लड़ाई से लगभग बाहर है।
क्या कांग्रेस दक्षिण भारत पर ज्यादा फोकस कर रही है?
राजस्थान और कर्नाटक यही वो दो राज्य हैं, जहां कांग्रेस सबसे ज्यादा 21 दिन यात्रा करेगी। इसके बाद केरल का नंबर है, जहां यात्रा 18 दिन होगी। तेलंगाना में 13, आंध्र में 3 दिन की यात्रा होनी है। तमिलनाडू में 4 दिन की यात्रा पूरी हो चुकी है। इस तरह प्लान के मुताबिक, दक्षिण भारत में करीब 59 दिन की यात्रा तय है।
दक्षिण भारत में भाजपा को कमजोर माना जाता है। कर्नाटक के अलावा आज तक दक्षिण के किसी राज्य में भाजपा सरकार नहीं बना पायी है। वहीं मध्य भारत को भाजपा का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस मध्य भारत में करीब 45 दिन की यात्रा करेगी।
दक्षिण भारत पर फोकस की वजह?
कांग्रेस की राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार है। इसके अलावा दक्षिण को छोड़कर किसी भी क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन पहले की तरह नहीं। उत्तर भारत के राज्यों के मुकाबले दक्षिण भारत में कांग्रेस जनाधार आज भी बाकी है। कांग्रेस पहले भी संकट के वक्त दक्षिण का रुख कर चुकी है। आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी 1977 के चुनाव में रायबरेली की सीट हार गई थी। इसके बाद उन्होंने कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव लड़ा था।
साल 1999 में सोनिया गांधी ने कर्नाटक के बेल्लारी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़कर और भाजपा की सुषमा स्वराज को हराया था। राहुल गांधी फिलहाल केरल के वायनाड से ही सांसद है। वह अमेठी की सीट भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी से हार गए थे। दक्षिण में कांग्रेस की स्थिति अब भी अच्छी है। साउथ के ज्यादातर राज्यों में सत्ताधारी दल का कांग्रेस से मुख्य मुकाबला है।
चुनावी राज्यों से दूर
जाहिर है तमाम किंतु परंतु के बावजूद भारत जोड़ो यात्रा एक राजनीतिक यात्रा है। कांग्रेस नेता इस यात्रा के जरिए पार्टी को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। राहुल गांधी एक नेता के रूप में अपनी स्वीकार्यता को टेस्ट करना चाहते हैं और देश का मिजाज टटोलना चाहते हैं। ऐसे में दो प्रमुख चुनावी राज्यों (गुजरात और हिमाचल) को भारत जोड़ों यात्रा से बाहर रखना, कांग्रेस की परियोजना को संदेहास्पद बना रहा है।
गुजरात और हिमाचल दोनों ऐसे राज्य हैं, जहां सत्ताधारी भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से रहा है। हालांकि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मीडिया को बताया है कि राहुल गांधी यात्रा के बीच-बीच में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार करने भी जाएंगे। गुजरात के विधानसभा चुनाव दिसंबर और हिमाचल का नवंबर में होने की संभावना है।
इसके अलावा यात्रा के कारण राहुल गांधी संसद के शीतकालीन सत्र में अनुपस्थित रह सकते हैं। शीतकालीन सत्र नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत में शुरू हो सकता है।
बता दें कि कांग्रेस ने मई महीने में उदयपुर में एक मंथन सत्र का आयोजन किया था। वहीं भारत जोड़ों यात्रा की घोषणा हुई थी। 7 सितंबर को यात्रा की शुरुआत भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर कन्याकुमारी से हुई थी, जो 150 दिन यानी करीब पांच महीने बाद जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में खत्म होगी। इस दौरान यह यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरेगी। यात्रियों को प्रतिदिन 22 से 25 किलोमीटर चलकर 3,570 किमी पूरा करना है।