सुप्रीम कोर्ट ने बाहुबली अतीक अहमद (Atiq Ahmed) की उत्तर प्रदेश शिफ्ट करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है और हाईकोर्ट जाने को कहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतीक अहमद के वकील न्यायिक हिरासत का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता कोर्ट का प्रोटेक्शन चाहता है, क्योंकि उसकी जान को खतरा है।
अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के एडवोकेट ने दलील दी कि उसकी जान को खतरा है। सीधे-सीधे धमकी दी गई है। वकील ने कहा- लॉर्डशिप को मुझे बचाना होगा…। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार आपका ख्याल रखेगी। यह इस कोर्ट का मामला नहीं है। आप हाईकोर्ट जाइए।
अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के एडवोकेट ने कहा, ‘तब तक कुछ राहत दे दें… पूछताछ कर लें, जांच कर लें या जो मन चाहे…।
SC में बोला अतीक- अब आपकी दया पर निर्भर हूं…
अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के वकील की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया- इस वक्त आप कस्टडी में हैं? एडवोकेट ने कहा हां…। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तब सरकारी मशीनरी आपके ख्याल रखेगी। एडवोकेट ने आगे कहा, ‘अगर लॉर्डशिप हमारी सुरक्षा नहीं करेंगे तो…? मैं इस वक्त न्यायिक हिरासत में हूं और पूछताछ से नहीं बच रहा हूं। आपकी शरण में हूं..।
‘कोर्ट से सुरक्षा नहीं मिली तो डेथ वारंट होगा…’
Live Law की एक रिपोर्ट के मुताबिक अतीक के वकील ने आगे कहा, ‘योर लॉर्डशिप, मेरी जान को खतरा है…अब मैं आपकी दया पर निर्भर हूं। अगर कोर्ट, याचिकाकर्ता को सुरक्षा नहीं देता है तो यह उसके डेथ वारंट की तरह होगा…’। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एक भी दलील नहीं मानी और याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया।
क्या है न्यायिक हिरासत?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतीक अहमद के वकील लगातार न्यायिक हिरासत (Judicial Coustody) की दलील देते रहे और कहते रहे कि अतीक को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी कोर्ट की है।
पुलिस जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है तो सीआरपीसी की धारा 167 के तहत 24 घंटे के अंदर उसे कोर्ट में पेश करना होता है। कोर्ट में पेशी के के दौरान पुलिस संबंधित आरोपी की हिरासत मांग सकती है। हिरासत दो तरह की होती है, पुलिस हिरासत और न्यायिक हिरासत। यह मजिस्ट्रेट पर निर्भर है कि आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखना है या फिर पुलिस हिरासत में भेजना है।
पुलिस और न्यायिक हिरासत में फर्क
पुलिस हिरासत के तहत संबंधित आरोपी को थाने में रखा जाता है, जबकि न्यायिक हिरासत में आरोपी को जेल में रखा जाता है। न्यायिक हिरासत में भेजा गया आरोपी एक तरीके से कोर्ट के संरक्षण में होता है। न्यायिक हिरासत में भेजे गए आरोपी से किसी भी पूछताछ से पहले पुलिस को कोर्ट की इजाजत लेनी होती है। जबकि पुलिस हिरासत के मामले में ऐसा नहीं है।
एक और अहम बात है कि अगर किसी आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखा गया है, तो पुलिस को उस मामले में 60 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करना होता है।