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किसी के नंगे बदन पर ऊंट की खाल तो किसी के मुंह पर भैंसे का सिर…कैदियों से ऐसा सलूक देख आग बबूला हो गए थे अकबर, वफादार को दी थी ऐसी सजा

अकबर (Akbar) ने झूठ बोलने पर एक मनसबदार को जिंदा नदी में बहा दिया था। बाद में उसे गुलाम के तौर पर नीलाम करवा दिया था।

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Akbar: मुगल बादशाह अकबर ने कैदियों से बुरे सलूक पर अपने करीबी को भी नहीं बख़्शा था। सोर्स- Wikimedia Commons

मुगल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर (Jalaluddin Muhammad Akbar), दूसरे मुगल बादशाहों के मुकाबले सहिष्णु माने जाते थे। हालांकि जब कभी अकबर गुस्सा होते तो लोग कांपने लगते थे। ऐसा ही एक वाकया तब हुआ जब अकबर (Akbar) अपनी सेना लेकर सिंधु किनारे पहुंचे। उन्होंने अपने एक मनसबदार से कहा कि नदी पार करने के लिए ऐसी जगह ढूंढें जहां बगैर नाव के काम हो जाए। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक शाज़ी ज़मां अपनी ‘अकबर’ में लिखते हैं कि मनसबदार 25 मील आगे तक गया। इलाके के लोगों से भी पूछा लेकिन कोई खास जगह पता नहीं चली। उसने सोचा कि आगे जाना बेकार है।

मनसबदार को नदीं में फेंकवा दिया था

मनसबदार लौट आया और अकबर (Akbar) से कहा कि कोई मुफीद जगह नहीं मिली, जहां से सैनिक पार कर सकें। नाव का पुल बनाना होगा। इस पर अकबर ने पूछा कि क्या तुम उस जगह गए थे जहां हमने कहा था? बादशाह को पता चला कि वह उस जगह गया ही नहीं, जहां कहा था। अकबर आग-बबूला हो गए। उस मनसबदार को उसी जगह घसीट कर ले जाने को कहा। वहां बैल की खाल से बने एक थैले से बांधकर उसे नदी में फेंक दिया।

मनसबदार अपनी जान की भीख मांगता रहा। आखिर में जब नदी में बहते हुए शाही खेमे के सामने पहुंचा तो बादशाह ने उसकी जान बख्श दी। लेकिन बतौर गुलाम बाजार में नीलाम करवा दिया।

जानवरों की खाल में सिलकर लाए गए कैदी

एक और वाकया गुजरात के बागी मसूद हसन मिर्जा से जुड़ा है। मसूद हुसैन मिर्जा को लगभग 300 लोगों के साथ अजीबो-गरीब हालत में अकबर के दरबार में लाया गया। जानवरों के सिर को ताजा खाल के साथ कैदियों के नंगे बदन पर सिल दिया गया था। शेर, भैंसा, काला हिरण, बंदर, बकरी, चीता, कुत्ता और घोड़े की खाल में सिले कैदियों पर मक्खिंयां भिनभिना रही थीं। जब अकबर ने कैदियों को इस हाल में देखा तो इतने नाराज हुए कि अपने करीब शेख अब्दुन्नबी के मुंह पर घूंसा मार दिया। बाद में शेख अब्दुन्नबी को राजा टोडरमल (Todar Mal) को सौंप दिया था।

कैदियों से बुरा सलूक देख आग बबूला हो गए थे अकबर

ऐसा ही एक वाकया तब हुआ जब मुगल बादशाह अकबर के दरबार के एक चोबदार ने एक कर्मचारी पर तीर चला दिया। जब अकबर (Akbar) को इसकी खबर मिली तो आग बबूला हो गए और उस चोबदार को मौत की सजा सुना दी। चोबदार का कत्ल करने के लिए अपनी खास तलवार कुलीज खान को दी। हालांकि कुलीज खान के दो वार के बाद भी चोबदार को खरोंच नहीं आई। बाद में बादशाह अकबर ने उसकी जान बख्श दी और गधे पर बिठाकर घुमाने का हुक्म दिया।

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First published on: 12-01-2023 at 17:23 IST
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