अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान सुरक्षा बलों (Taliban Forces) ने सोमवार को कुख्यात इस्लामिक स्टेट (Islamic State) समूह के दो आतंकवादियों को मार गिराया और तीसरे को हिरासत में ले लिया। काबुल में मुख्य तालिबान सरकार के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद के मुताबिक खेर खाना के एक आवासीय परिसर में आईएस के आतंकवादियों को निशाना बनाया गया था। वे आतंकी अफगानिस्तान की राजधानी पर हमला करने की योजना बना रहे थे। उन्होंने कहा कि खेर खाना आईएस का एक महत्वपूर्ण ठिकाना है।
IS का एक आतंकी गिरफ्तार, गोला-बारूद जब्त
मुजाहिद ने कहा कि आईएस के दो सदस्य मारे गए और एक को गिरफ्तार कर लिया गया। इस छापेमारी में गोला-बारूद और सैन्य उपकरण जब्त किए गए। उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान तालिबानी बलों में कोई हताहत नहीं हुआ। आईएस की ओर से फिलहाल इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गई है। अगस्त 2021 के मध्य में तालिबान देश भर में फैल गया था।
इसी महीने तालिबान ने मारे थे IS के तीन आतंकी
इस महीने एक अलग ऑपरेशन में तालिबान के खुफिया और सुरक्षा बलों ने आईएस के तीन आतंकवादियों को मार गिराया और काबुल के पूर्वी हिस्से में कार्ति नवा में एक रात के ऑपरेशन में एक को गिरफ्तार कर लिया। तालिबान ने दावा किया था कि राजधानी काबुल में हाल में हुए कई हमलों के पीछे आईएस का हाथ है। इसके बाद रातों-रात सोशल मीडिया पर पोस्ट में खेर खाना के इलाके में कई विस्फोटों और छोटे हथियारों से आग लगने की सूचना दी गई थी।
तालिबान और इस्लामिक स्टेट में क्या है अंतर
तालिबान और इस्लामिक स्टेट दोनों ही इस्लाम के मुताबिक शासन की बात करने वाले हथियारबंद समूह लंबे समय से आपस में खूनी संघर्ष जारी रखे हुए हैं। बाहर से एक जैसे दिखते आतंकवादी संगठनों में काफी फर्क उभरकर सामने आए हैं। जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है और क्यों एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हैं।
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- अमेरिका और नाटो सेना के 20 साल के युद्ध के बाद अफगानिस्तान से अपनी अंतिम वापसी के तुरंत बाद तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
- इस्लामिक स्टेट समूह का क्षेत्रीय सहयोगी खुरासान प्रांत में तालिबान का एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है।
- अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर खूनी जंग के सहारे हुए तालिबान के कब्जे के बाद से आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट ने अफगानिस्तान में अपने हमले बढ़ा दिए हैं।
- इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के निशाने पर तालिबान के गश्ती दल और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक शिया समुदाय के लोग शामिल होते हैं।