तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने के बाद नशे की लत को खत्म करने की योजना बनाई है। इसके लिए छापेमारी की जा रही है। लोगों को जबरन पकड़कर इलाज के लिए उपचार केंद्र ले जाया जा रहा है। तालिबान की मंशा साफ है कि नशे को खत्म करने के लिए अगर उसे बल का प्रयोग करना पड़ेगा तो वो उसके लिए भी तैयार है।
गौरतलब है कि तालिबान के लड़ाकों से पुलिस कर्मचारी बने कर्मियों ने राजधानी काबुल के एक इलाकों से मादक पदार्थ हेरोइन और मेथामफेटामाइन्स के नशे के आदि सैकड़ों बेघर लोगों को हिरासत में लेकर उन्हें पीटा। उन्हें जबरन उपचार केंद्र ले जाया गया। पिछले हफ्ते इस तरह की एक छापेमारी तक एसोसिएटिड प्रेस की पहुंच हुई।
डॉक्टरों का कहना है कि, यहां लाए गए व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार थे, उन्हें दीवार के सहारे बैठाया गया और उनके हाथ बांध दिए गए। उनसे कहा गया कि वो नशा छोड़ दें, नहीं तो उनकी पिटाई की जाएगी। इस तरह के सख्त कदमों का कुछ स्वास्थ्य कर्मियों ने स्वागत भी किया है। एक उपचार केंद्र में काम कर रहे डॉ फजलरब्बी मयार ने कहा, “हम अब लोकतंत्र में नहीं हैं। यह तानाशाही है। इस तरह के लोगों का इलाज करने का सिर्फ एक तरीका है और वह है बल का इस्तेमाल करना।”
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में कई नागिरक हेरोइन और मेथामफेटामाइन्स के आदी हैं। तालिबान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन उपचार केंद्रों को एक आदेश जारी कर कहा था कि, हमारी मंशा नशे की लत की समस्या को सख्ती से नियंत्रित करने की है। इस्लाम में मादक पदार्थों का इस्तेमाल धर्म के खिलाफ है। देश में अफीम का अवैध व्यापार अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और उसकी उथल-पुथल से जुड़ा हुआ है। अफीम की खेती करने वाले तालिबान के लिए महत्वपूर्ण ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा हैं और अधिकांश अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस फसल पर निर्भर रहते हैं।
बहरहाल, तालिबान ने 2000-2001 में अमेरिकी हमले से पहले बड़े स्तर पर अफीम की खेती पर रोक लगाने में कामयाबी पा ली थी। लेकिन जब बाद की सरकारें आईं, तो ऐसा करने में वो नाकाम रहीं। काबुल के गुजरगाह इलाके में एक पुल के नीचे मांद पर लड़ाकों ने छापा मारकर लोगों को वहां से बाहर आने को कहा। उसमें से कुछ तो खुद ही बाहर आ गए लेकिन कुछ को जबरन बाहर निकालना पड़ा। तालिबान के लड़ाके कारी फिदायी ने कहा,” वे हमारे देशवासी हैं। वे हमारा परिवार हैं और उनमें अंदर से अच्छा इंसान है। अल्लाह की मर्जी रही तो अस्पताल में मौजूद लोग उनका इलाज कर देंगे।”
एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा कि वह शायर है और अगर उसे छोड़ दिया गया तो वह आगे से नशा नहीं करेगा। लड़ाकों ने कम से कम 150 लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें जिला पुलिस थाने ले जाया गया। इन लोगों के पास से मिले मादक पदार्थ, बटुआ, चाकू आदि सभी सामानों को जला दिया गया। उन्हें अबीसीना मेडिकल हॉस्पिटल फॉर ड्रग ट्रीटमेंट ले जाया गया जहां डॉ वहीदुल्ला कोशान ने बताया कि उनका इलाज 45 दिन तक चलेगा। वहीं गश्ती दल के अधिकारी कारी गफूर ने कहा, “ शुरुआती तौर पर ऐसा हो रहा है, बाद में किसानों के पास जाकर हम उन्हें शरिया के मुताबिक सज़ा देंगे।”