एक-एक करके डूब रहे सुंदरवन के द्वीप
बंगाल की खाड़ी में 70 के दशक में उग आए एक द्वीप पर भारत और बांग्लादेश दोनों ही देश अपना हक जता रहे थे।
दीपक रस्तोगी
आप मानें या न मानें। बंगाल की खाड़ी में जलवायु और पारिस्थितिकी परिवर्तन के कारण भारत और बांग्लादेश के बीच 30 साल से चला आ रहा एक विवाद खुद-ब-खुद सुलझ गया है। बंगाल की खाड़ी में 70 के दशक में उग आए एक द्वीप पर दोनों ही देश अपना हक जता रहे थे। ताजा शोध रपटों के अनुसार, भारत में पूर्वांशा और बांग्लादेश में दक्षिणी तालपट्टी के नाम से परिचित साढ़े तीन वर्ग किलोमीटर का वह द्वीप अब समुद्र में समा चुका है। सुंदरवन के इलाके में शोध में जुटे वैज्ञानिक इस द्वीप को न्यू मूर आइलैंड कहते थे। अब समुद्र वैज्ञानिकों में हलचल है और बंगाल की खाड़ी में बंगाल और बांग्लादेश के बीच स्थित छोटे-छोटे सैकड़ों द्वीपों के भविष्य को लेकर चर्चा तेज गई है।
भारत-बांग्लादेश दोनों तरफ खतरा
भारत की तरफ यानी पश्चिम बंगाल के नजदीक पड़ने वाले न्यू मूर द्वीप ही नहीं, लोहाचारा, बेडफोर्ड, कबासगाड़ी और सुपारीभांगा नामक द्वीप भी डूब चुके हैं। इन द्वीपों पर कभी रह रहे छह हजार से अधिक परिवार विस्थापित हैं। घोड़ामारा द्वीप का 95 फीसद, यानी 9600 एकड़ जमीन जल में समा चुकी है। विज्ञानी आशंका जता रहे हैं कि 25-30 वर्षों में 13 बड़े द्वीपों का आस्तित्व मिट सकता है। देश के अन्य हिस्सों को मशहूर तीर्थस्थल गंगासागर से जोड़ने वाले सागर, नामखाना समेत मौसुनी, पाथरप्रतिमा, दक्षिण सुरेंद्र नगर, लोथियान, धुलिबासानी, धांची, बुलछेरी, अजमलमारी, भांगादुआनी, डलहौजी, जंबूद्वीप के हिस्सों के समुद्र में समा जाने से सरकार को वर्ष 2030 तक कम से कम 1700 करोड़ रुपए की चपत लग चुकी होगी। बांग्लादेश के हटिया द्वीप समूह की किस्मत भी कुछ ऐसी ही बताई जा रही है।
11.2 फुट बढ़ जाएगा पानी
’डॉ. सुगत हाजरा और तुहीन घोष की टीम के साथ सुंदरवन में काम
कर रहीं वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की उपनिदेशक
(कंजरवेशन साइंस) कोल्बे लॉक्स और उनकी टीम ने हाई
रिजोल्यूशन कैमरों से तस्वीरें खींचकर इस इलाके में समुद्र की सतह
के बढ़ने का अध्ययन किया।
’कोल्बे और उनकी टीम का अनुमान है कि वर्ष 2070 तक बंगाल
की खाड़ी का समुद्र 11.2 फुट बढ़ जाएगा। सुंदरवन के बांग्लादेश
वाले हिस्से में 60 फीसद जमीन डूब जाएगी।
’विज्ञानियों की निगाह में भारत की तरफ का घोड़ामारा द्वीप, समुद्र
के बढ़ने के खतरे का सबसे बड़ा उदाहरण है। बंगाल की खाड़ी
स्थित यह द्वीप कभी नौ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ था।
25 वर्षों में क्षेत्रफल घटकर 4.7 वर्ग किलोमीटर रह गया है।
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