NYT में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तुलना कभी विधायक भी नहीं रहे बाल ठाकरे से
सुकेतु मेहता लिखते हैं कि, "मैं न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता पढ़ाता हूं और एक भी सम्मानित पत्रकार ने ट्रंप की जीत का अनुमान नहीं लगाया था। 1980 के दशक में मुंबई के संभ्रांत वर्ग को इस बात की जरा भी उम्मीद नहीं थी कि ठाकरे जीत सकते हैं।"

प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित लेख में भारतीय मूल के लेखक सुकेतु मेहता ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक उभार की तुलना मुंबई में 1980 के दशक में महाराष्ट्र की राजनीति में बाल केशवल ठाकरे से की है। ये अलगत बात है कि बाल ठाकरे कभी विधायक भी नहीं रहे थे। मेहता के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप भी ठाकरे की तरह झूठी कहानियां बेचने और लोगों की मनोरंजन की जरूरत को पूरा करने में माहिर हैं। मेहता ने इस बात की भी आशंका जतायी है कि जिस तरह ठाकरे के ताकतवर होने के हिंसक परिणाम सामने आए उसी तरह ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद हिंसा में बढ़ोतरी न हो?
मेहता लिखते हैं कि, “मैं न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता पढ़ाता हूं और एक भी सम्मानित पत्रकार ने ट्रंप की जीत का अनुमान नहीं लगाया था। 1980 के दशक में मुंबई के संभ्रांत वर्ग को इस बात की जरा भी उम्मीद नहीं थी कि ठाकरे जीत सकते हैं।” मेहता ने दोनों की तुलना करते हुए लिखा है, ” ठाकरे मुंबई के सबसे ताकतवर इंसान थे क्योंकि वो भी ट्रंप की तरह कहानी कहने में माहिर थे।”
मेहता ने ट्रंप की प्रतिद्वंद्वी और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की हार के पीछे उनके “मनोरंजक भाषण” दे पाने में विफलता को एक कारण माना है। मेहता ने उदाहरण देते हुए लिखा है, “हिलेरी क्लिंटन ने जब न्यू जर्सी के एक बॉलीवुड शो को संबोधित किया तो बहुलतावादी संस्कृति पर अकादमिक पर्चे जैसा भाषण दिया। वहीं ट्रंप ने कहा, “ये एक कमजोरी है। मैं भारत की खूबसूरत हिरोइनों को प्यार करता हूं। उनका जैसा कुछ भी नहीं।”
मेहता ने लिखा है, “हर साल दशहरे पर बाल ठाकरे मुंबई के शिवाजी पार्क में घंटों तक जनता को सामने भाषण देते थे और उनके हजारों श्रोता उन्हें सुनकर आनंद लेते थे। मुंबईवासियों को कल्पना नहीं थी कि ठाकरे के मनोरंजन भाषण सड़कों पर खून बहा सकते हैं। ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद से न्यूयॉर्क में हिंसा की घटनाओं में 115 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है।अगर ट्रंप राष्ट्रपति रहने के दौरान भी अपना हिंसा को बढ़ावा देने वाला कैंपेन जारी रखते हैं तो क्या होगा? ”
बाल ठाकरे के समर्थक महाराष्ट्र के मूल निवासी थे। उनके दुश्मन कम्युनिस्ट, दक्षिण भारतीय, गुजराती, मुस्लिम और उत्तर भारतीय प्रवासी थे। महाराष्ट्र के कामगारों को लगता था कि उनका काम उत्तर भारतीयों छीन लिया है। ठाकरे ने उन्हें नौकरियां वापस दिलाने का वादा किया था। इसी तरह ट्रंप ने अमेरिकियों की बाहरियों द्वारा नौकरियां छीने जाने को अहम मुद्दा बनाया। ठाकरे की तरह ट्रंप भी खुद को कानून की बहुत ज्यादा परवाह न करने वाले ताकतवर शख्श के रूप में पेश करते हैं।