नहीं थम रहा दिल्ली में यौन उत्पीड़न, सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित महसूस नहीं करती महिलाएं
33 फीसदी महिलाओं ने सार्वजनिक स्थानों पर जाना बंद कर दिया और 17 फीसदी ने अपनी नौकरी छोड़ दी।

निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के बाद सख्त कानून बनाए जाने के बावजूद दिल्ली में यौन उत्पीड़न एक व्यापक समस्या बनी हुई है। एक नये अध्ययन में पाया गया है कि सर्वेक्षण में शामिल की गई 40 फीसदी महिलाओं का पिछले साल यौन उत्पीड़न हुआ। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि दिल्ली में सर्वेक्षण में शामिल की गई करीब 40 फीसदी महिलाओं ने बताया कि पिछले साल बस या पार्क जैसे सार्वजनिक स्थान पर उनका यौन उत्पीड़न किया गया। ज्यादातर अपराध दिन में हुए। इसके अलावा 33 फीसदी महिलाओं ने सार्वजनिक स्थानों पर जाना बंद कर दिया और 17 फीसदी ने अपनी नौकरी छोड़ दी।
अमेरिका के मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय के महेश नल्ला ने बताया कि इसका मतलब यह है अभी तक डर बना हुआ है। गौरतलब है कि 2012 में जिस सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मौत हो गई थी उसे निर्भया नाम दिया गया था। इस घटना ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के प्रति सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था। नल्ला ने कहा कि भारत में महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित महसूस नहीं करती जो मानवाधिकार का स्पष्ट रूप से एक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न का दुनिया भर में महिलाएं सामना करती हैं पर यह भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों जैसे उभरते लोकतंत्रों में कहीं अधिक व्यापक हो सकता है।
उन्होंने कहा कि खस्ताहाल, अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, युवाओं का बड़ी संख्या में शहरों में प्रवास और भारत के परंपरागत रूप से पुरुषवादी समाज होने से यह समस्या तेज हुई है। परंपरागत पुरूषवादी समाज में कई लोग मानते हैं कि महिलाओं की जगह घर के अंदर है। नल्ला और स्टॉकहोम विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक मनीष मदन ने नई दिल्ली में करीब 1400 पुरुष और महिलाओं पर यह सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 58 प्रतिशत महिलाओं का उनके जीवन में कम से कम एक बार यौन उत्पीड़न हुआ है। यह अध्ययन जर्नल ‘इंटरनेशनल क्रिमिनल जस्टिस रिव्यू’ में प्रकाशित हुआ है।