कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि उनके जीवन में सीख देने वाला सबसे बड़ा अनुभव उनके पिता की मृत्यु थी। कहा कि इस घटना ने उन्हें जिंदगी के उस हकीकत का सामना कराया, जिसे वह कभी नहीं जान पाते। राहुल गांधी कैंब्रिज विश्वविद्यालय में एक सेमिनार के दौरान साक्षात्कार में बोल रहे थे।
अपने पिता को याद करते हुए भावुक हुए राहुल गांधी ने कहा कि उनके पिता और पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या उनके जीवन का “सबसे बड़ा सीखने वाला अनुभव” था, उन्होंने कहा कि वह इस बात से इंकार नहीं कर सकते हैं कि जिंदगी की सबसे दुखद घटना ने उन्हें वह चीज सिखाई जो वह कभी नहीं सीख पाते।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के एक चुनावी सभा के दौरान श्रीलंकाई उग्रवादी संगठन लिट्टे के एक आत्मघाती दस्ते ने हत्या कर दी थी।
सोमवार को प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कॉरपस क्रिस्टी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर और भारतीय मूल की शिक्षाविद डॉ. श्रुति कपिला ने उनके सामने एक “गांधीवादी सवाल” रखा और पूछा कि हिंसा और व्यक्तिगत स्तर पर खुद को उसके बीच रहने का अनुभव कैसा रहा। इस पर कांग्रेस नेता भावुक हो गए। वे कुछ देर शांत रहे और फिर बोले- “मेरे जीवन का सबसे बड़ा सीखने का अनुभव मेरे पिता की मृत्यु थी। इससे बड़ा कोई अनुभव नहीं है।”
51 वर्षीय कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि “अब, मैं इसे देख सकता हूं और कह सकता हूं कि मेरे पिता को मारने वाले व्यक्ति या ताकत ने मुझे बहुत दर्द दिया है। यह सही है, एक बेटे के रूप में मैंने अपने पिता को खो दिया और यह बहुत दर्दनाक है।’
कांग्रेस नेता ने कहा, “लेकिन फिर मैं इस तथ्य से दूर नहीं हो सकता कि उसी घटना ने मुझे उन चीजों को भी सिखाया जो मैंने कभी नहीं सीखा होगा। इसलिए, जब तक आप सीखने के लिए तैयार हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितना बुरा है या बुरे लोग हैं।”
श्री गांधी ने इसे दिन-प्रतिदिन की राजनीति से जोड़ते हुए कहा: “अगर मैं पीएम मोदी की तरफ देखता हूं कि वे मुझ पर हमला करते हैं, और कहता हूं कि हे भगवान, वे बहुत शातिर है, वे मुझ पर हमला कर रहे हैं तो यह देखने का एक तरीका है। इसी चीज को देखने का दूसरा तरीका यह है कि मैं कहूं कि बहुत अच्छा है, मैं कुछ सीख ही रहा हूं, आप और करिए मुझ पर हमला।”
यह पूछे जाने पर कि क्या नुकसान किसी तरह उत्पादक हो सकता है, उन्होंने राजनीति के खतरों को प्रकट किया, जहां बड़े-बड़े लोग जुटे हैं। उन्होंने कहा, “जीवन में आपके साथ हमेशा ऐसा होगा, खासकर यदि आप उन जगहों पर हैं जहां बड़े-बड़े लोग जुटे हैं, तब आपको हमेशा चोट लगेगी। यदि आप वही करेंगे, जो मैं करता हूं तो दुख होगा। यह आशंका नहीं निश्चित है, क्योंकि यह उसी तरह है जैसे कोई बड़ी लहरों के साथ समुद्र में तैराकी करे, और बड़ी लहरें उसको अंदर की ओर ठेलती हैं। जब आप ऐसी स्थिति में होते हैं तब सीखते हैं कि आपको इसके साथ कैसी प्रतिक्रिया करनी चाहिए।”
इस साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए। उनसे पूछा गया कि वे भारतीय राजनीति में बदलाव लाने में किस तरह योगदान कर सकते हैं। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि वे पार्टी नेताओं के साथ इंटर्न के रूप में शामिल हो सकते हैं और फिर उन्हें राजनीतिक कार्रवाई देखने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों में भेजा जा सकता है, लेकिन उन्हें इस दौरान सख्त हालातों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना होगा।
उन्होंने युवाओं का इसमें शामिल होने का आह्वान किया। कहा, “यह एक कठिन काम है और यदि आप इसे ठीक से करते हैं, तो यह एक दर्दनाक कार्य है, यह मज़ेदार व्यवसाय नहीं है, यह एक कठिन काम है और आपको कई बार बुरे हालातों से गुजरना होता है,”